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Kolhan University admission drop : KU में एडमिशन का पांच साल का रिकॉर्ड ब्रेक, अब तक का सबसे कम नामांकन

कोल्हन विश्वविद्यालय में अब तक सिर्फ 17 हजार 700 छात्रों ने लिया दाखिला, पिछले बार 22 हजार छात्रों का हुआ था एडमिशन...

by Anand Mishra
Kolhan University
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Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड में उच्च शिक्षा का ग्राफ चिंताजनक स्थिति की ओर इशारा कर रहा है। चांसलर पोर्टल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2025 के लिए राज्य भर में स्नातक और वोकेशनल कोर्स में नामांकन की स्थिति निराशाजनक रही है। इस साल कुल 3,61,699 छात्रों ने आवेदन किया, लेकिन अंतिम रूप से सिर्फ 1,28,021 छात्रों ने ही नामांकन सुनिश्चित किया, जिससे आवेदन और वास्तविक दाखिले में बड़ा अंतर देखा गया।

कोल्हान विश्वविद्यालय में 5 साल का सबसे कम एडमिशन

कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में स्थिति विशेष रूप से खराब है। इस वर्ष कुल 34,246 आवेदन भरे गए, लेकिन केवल 17,720 छात्रों ने ही दाखिला लिया। यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में विश्वविद्यालय का सबसे कम नामांकन है। पिछले साल यह संख्या 22 हजार से अधिक थी, जबकि 2023 में 24 हजार और 2022 में 26 हजार से ज्यादा छात्रों ने एडमिशन लिया था। 2021 में तो यह आंकड़ा 28 हजार तक पहुंच गया था। इस गिरावट का सबसे बुरा असर उन कॉलेजों पर पड़ा है जो पिछले 5-6 सालों में खुले हैं। खरसावां डिग्री कॉलेज में 20 से भी कम एडमिशन हुए हैं, जबकि मनोहरपुर और सरायकेला खरसावां महिला महाविद्यालय में यह संख्या 60 से भी नीचे रही है।

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क्यों घट रहा है सरकारी विवि में नामांकन?

इस गिरावट के पीछे के कारणों पर शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।

  • बढ़ती प्रतिस्पर्धा : शिक्षाविद एमएन तिवारी के अनुसार, कोल्हान समेत पूरे राज्य में तेजी से खुल रहे निजी विश्वविद्यालय एक बड़ी वजह हैं। इंटरमीडिएट पास करने वाले छात्रों की संख्या लगभग समान रहती है, लेकिन अब ये छात्र सरकारी की बजाय निजी विवि में जा रहे हैं।
  • सेशन में देरी : सरकारी विश्वविद्यालयों में एडमिशन और परीक्षा प्रक्रिया में अक्सर देरी होती है, जिससे पूरा सत्र लेट हो जाता है। वहीं, निजी संस्थान समय पर एडमिशन और परीक्षा कराकर सत्र को नियमित रखते हैं, जो छात्रों को आकर्षित करता है।
  • कोर्स और प्लेसमेंट का अभाव : सरकारी विवि में आज भी पुराने और पारंपरिक बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्स ही ज्यादा हैं। इसके विपरीत, निजी संस्थान जॉब-ओरिएंटेड वोकेशनल और टेक्निकल कोर्स प्रदान करते हैं, जिनमें नौकरी मिलने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, निजी विवि प्लेसमेंट की सुविधा भी देते हैं, जबकि सरकारी विवि में प्लेसमेंट का कोई बेहतर सिस्टम नहीं है।

इन्हीं सब वजहों से छात्र अधिक फीस होने के बावजूद निजी संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं, जिससे सरकारी विश्वविद्यालयों में लगातार नामांकन में गिरावट दर्ज की जा रही है।

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अन्य विश्वविद्यालयों में दाखिले की स्थिति

राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में भी स्थिति चिंताजनक है:

  • रांची विश्वविद्यालय : 94,402 आवेदन-26,824 एडमिशन
  • सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका : 60,195 आवेदन-26,811 एडमिशन
  • विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग : 73,724 आवेदन-31,809 एडमिशन
  • नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय, पलामू : 31,500 आवेदन-5,073 एडमिशन
  • झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय : 861 आवेदन-129 एडमिशन
  • बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद : 44,298 आवेदन-14,539 एडमिशन
  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची : 18,249 आवेदन-3,139 एडमिशन
  • जमशेदपुर वूमेंस यूनिवर्सिटी : 4,224 आवेदन-1,977 एडमिशन

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