रांची : बतौर रांची डीसी छवि रंजन का कार्यकाल भू माफियाओं के लिए काफी फायदेमंद रहा. सेना के कब्जे वाली भूमि हो, बजरा मौजा की भूमि हो या फिर चेशायर होम रोड की भूमि की खरीद-बिक्री सबके तार छवि रंजन और उनके इर्द-गिर्द के लोगों से जुड़े हुए हैं. करोड़ों रुपए से ज्यादा के इस लैंड स्कैम में परत दर परत सच्चाई सामने आ रही है और जो खुलासे हो रहे हैं, वह चौंकाने वाले हैं.
छवि रंजन की शह पर फर्जी पेपर तैयार करने वाले गिरोह ने कई भूखंडों के कागजात तैयार कर लिए और उसपर अपना दावा ठोक दिया, जब जमीन कब्ज़ा करने की बारी आई, तो इसके लिए भाड़े की महिलाओं के समूह का इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं जिन जगहों पर लोकल लोगों को मैनेज करने की जरुरत पड़ी, उन्हें भी कुछ पैसे देकर अपनी साइड में मिला लिया गया.
लैंड स्कैम के आरोपियों की डायरी और उनके मोबाइल से कुछ ऐसी जानकारी सामने आयी है, जिससे यह साबित होता है कि जमीन कब्जाने के लिए भाड़े की महिलाओं के ग्रुप को पैसे दिए गए. जब जमीन पर कब्जा कर लिया गया तो वहां बिजली का कनेक्शन और गार्ड रखने के लिए रूम भी तैयार हो गया और यह सब कुछ हुआ छवि रंजन के डीसी रहते हुए ही हुआ था. इतना ही नहीं जांच में यह बात भी सामने आयी है कि सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री की जांच के दौरान जब ईडी ने प्रदीप बागची को समन कर पूछताछ के लिए बुलाया था. तब अमित अग्रवाल ने उसे ईडी के पास जाने और मुंह खोलने से मना किया था.
ED के हाथ लगी लैंड स्कैम के आरोपी की डायरी, डायरी में लिखा है पैसों का हिसाब-किताब
चेशायर होम रोड स्थित जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ के लिए बड़गाईं अंचल के अधिकारियों और कर्मचारियों को पैसे दिए गए हैं. इस बात का खुलासा ED की जांच में तब हुआ जब ED के हाथ लैंड स्कैम से जुड़े एक आरोपी की डायरी लगी. उस डायरी में सारा हिसाब-किताब लिखा हुआ है. डायरी में लिखे गए हिसाब-किताब के ब्योरे के मुताबिक 6 दिसंबर 2021 को बड़गाईं अंचल के हल्का कर्मचारी भानु को रसीद मैनेज करने के लिए 2 लाख रुपए नगद दिए गए.
इतना ही नहीं चेशायर होम रोड की भूमि में कब- कब किसे-किसे कितना भुगतान हुआ है, यह सब कुछ डायरी में तारीख के साथ लिखा गया है. भानु प्रताप वही हल्का कर्मचारी है, जिसके घर से जमीन घोटाले में हुई छापेमारी के दौरान हजारों सरकारी दस्तावेज और 17 रजिस्टर समेत नकदी बरामद हुए थे. चेशायर होम रोड की बेशकीमती भूमि की ख़रीद बिक्री और म्यूटेशन में भानु प्रताप आरोपी है और बड़गाईं सीओ (अंचल अधिकारी) की भूमिका संदिग्ध है.