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पत्नी से जबरदस्ती संबंध बनाना रेप है या नहीं: अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क/ नई दिल्ली : देश में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में है? कई राज्यों के हाईकोर्ट में इस मामले को सुनवाई हो चुकी है पर स्पष्ट तौर अभी तक कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया है। हाल ही में एक और मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर तय करेगा कि जबरन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में है या नहीं।

क्या है आईपीसी में

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 कहती है कि पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने को मैरिटल रेप नहीं माना जा सकता है। वहीं, धारा 376 के मुताबिक, कुछ परिस्थियों में पत्नी की मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने पर सजा का प्रावधान है।

इस आधार पर पत्नी तलाक की अर्जी दाखिल कर सकती है। भारत दुनिया के उन 49 देशों में शामिल है, जहां पत्नी से रेप करने वाले पति को समाज के साथ कानून भी दोषी नहीं मानता है। केंद्र सरकार मैरिटल रेप को अपराध मानने के पक्ष में नहीं है। सरकार का मानना है कि इससे विवाह सिस्टम कमजोर होगा।

रेप की परिभाषा

रेप यानी किसी लड़की से जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना। किसी लड़की के साथ उसकी मर्जी के बिना अगर कोई व्यक्ति जोर-जबरदस्ती करता है और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उस शख्स पर धारा 375 के तहत रेप का मामला दर्ज होता है।

मैरिटल रेप

यदि कोई शख्स पत्नी की बिना सहमति के सेक्स करता है या इसके लिए मजबूर करता है तो इसे मैरिटल रेप कहते हैं। मैरिटल रेप के मामले में स्थितियां पूरी तरह बदल जाती है। धारा 375 के अपवाद 2 के तहत कहा गया है अगर पति अपनी पत्नी के साथ किसी भी हालात में शारीरिक संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो वो इस अपराध में शामिल नहीं होता। यानी की हम यहां यह कह सकते हैं कि भारत में मैरिटल रेप अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।

यौन हिंसा में बढोत्तरी : हाल के वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो हम पाते हैं कि इस प्रकार के अपराध के मामलों में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी है। ऐसे मामले अब कोर्ट तक पहुंचने लगे हैं। कई महिलाएं तलाक की अर्जी भी इसी को आधार बनाकर कोर्ट में दायर कर चुकी हैं।

दो पक्षों में बंटा हमारा समाज

इस मामले पर हमारा समाज दो पक्षों में बंटा नजर आ रहा है। किसी की राय है कि इसे कानूनी दायरे में लाया जाये और दूसरा पक्ष का कहना है भारतीय समाजिक सिस्टम इससे कमजोर होगा। कुछ लोगों का मानना है कि मैरिटल रेप पर कानून स्पष्ट नहीं होने से महिलाओं के शोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

यौन हिंसा की वजह से परिवार बिखर रहे है। महिलाओं के अधिकार हाशिए पर हैं। वहीं दूसरा पक्ष का कहना है कि यह सब बेकार की बात है। सुप्रीम कोर्ट का बहुमूल्य समय नष्ट किया जा रहा है।

अब यह कोर्ट तय करेगा कि हमे कब संबंध बनाना चाहिए और कब नहीं। इससे ऐसे मामलों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और कोर्ट में ऐसे मामलों की बाढ़ आ जायेगी। देश में जो मामले हैं उसमें न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं। ऐसे में इस प्रकार के कानून बनने से कोर्ट में फिलहाल जितने मामले पहुंच रहे हैं उनमें आधे महिला संबंधों के मामले होंगे।

रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा :

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव किया है। जो लोग मैरिटल रेप के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि इस कानून के बनने के बाद इस तरह के मामलों में कमी आयेगी, पर रिपोर्ट में इस ओर ध्यान देने की जरूरत बतायी है।

77 देशों में क्राइम है मैरिटल रेप

मैरिटल रेप भारत में फिलहाल अपराध नहीं है। लेकिन दुनिया के 77 देशों में बिना पत्नी के मर्जी के सेक्स करना मैरिटल अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में इन देशों में सजा का भी प्रावधान है। अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में पत्नी की बिना सहमति के सेक्स करना अपराध है और इस मामले में शिकायत होने पर जेल भी जाना पड़ सकता है।

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