- तीनों मामलों में स्वास्थ्य मंत्री की पहल के बाद परिजनों को सौंपा गया शव
- बकाया बिल के लिए शव नहीं रोकने का स्वास्थ्य मंत्री ने प्राइवेट हॉस्पिटलों को दिया है निर्देश
रांची : प्राइवेट हॉस्पिटलों की मनमानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले तो मनमाना बिल और फिर बकाये बिल को लेकर शव रोकने से भी बाज नहीं आ रहे है। जबकि स्वास्थ्य मंत्री प्राइवेट हॉस्पिटलों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि बकाया बिल के लिए शव को नहीं रोका जाएगा। इसके बावजूद मेदांता हॉस्पिटल ने शुक्रवार को एक शव को रोक लिया। इसकी सूचना जब स्वास्थ्य मंत्री को मिली तो उनकी पहल पर शव परिजनों को सौंपा गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हर बार प्राइवेट हॉस्पिटलों से परिजनों को शव दिलाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री को आगे आना होगा।
40485 रुपए था बकाया
मेदांता अस्पताल में पिंटू कुमार को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। लेकिन शुक्रवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद हॉस्पिटल शव देने को तैयार नहीं था। प्रबंधन का कहना था कि बिना बिल चुकाए परिजनों को शव नहीं दिया जाएगा। मृतक के परिजनों से 40,485 रुपये का बिल चुकाने को कहा गया। मामला स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचा तो अस्पताल से संपर्क किया। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
पारस अस्पताल ने भी रोका था शव
पारस अस्पताल में भर्ती बंडासिंगा के मरीज केदार साव की 30 दिसंबर सोमवार को सुबह मौत हो गई। अस्पताल ने शव सौंपने के लिए 1 लाख 60 हजार रुपये का बकाया भुगतान मांगा था। जबकि मृतक के परिजनों ने पहले ही 7 लाख रुपये चुका दिए थे। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री के प्रतिनिधि मोबिन अंसारी ने अस्पताल पहुंचकर प्रबंधन से बात की और शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
50 हजार के लिए मेडिका ने शव रोका
मेडिका अस्पताल में इलाज के दौरान एक मरीज की मौत हो गयी थी। परिजनों ने एक दिन पहले ही 2 लाख 30 हजार का भुगतान किया था। इसके बाद हॉस्पिटल ने रात भर में 50 हजार का बिल बना दिया। सुबह उसकी मौत के बाद परिजनों से बकाया जमा करने को कहा गया। लेकिन परिजन पैसे जमा कराने में असमर्थ थे। लेकिन प्रबंधन बकाये पर अड़ा था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने खुद से पहल की। उनके प्रतिनिधि ने पहुंचकर सिविल सर्जन से प्रबंधन की बात कराई। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
मेदांता अस्पताल का बयान
इस मामले में मेदांता हॉस्पिटल के पीआरओ जगमोहन दास ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है। चूंकि हॉस्पिटल का पार्ट ऑपरेशन टीम देखती है। अगर कोई जानकारी मिलेगी तो मामले को देखा जाएगा।