Uttar Pradesh : ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और एलर्जी जैसी आम बीमारियों से जूझ रहे लाखों मरीजों को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है। इन बीमारियों के इलाज में commonly prescribed दवाओं की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। नई कीमतों के साथ दवाएं बाजार में उपलब्ध हो चुकी हैं, जिससे मरीजों के इलाज खर्च में बड़ा इजाफा हो गया है।
इन प्रमुख दवाओं के बढ़े दाम
दवा विक्रेताओं के अनुसार, जिन दवाओं के दामों में वृद्धि दर्ज की गई है, उनमें शामिल हैं:
नारफ्लाक्सटीजेड (Norflox-TZ)
यूनिएंजाइम (Unienzyme)
मोंटिना-एल (Montina-L)
पैनटॉप-डी (Pantop-D)
टीटान-एच (Tetan-H) – ब्लड प्रेशर के लिए
ग्लूफॉरमिन (Gluformin) – डायबिटीज के लिए
इनमें से कई दवाएं नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिंस (NLEM) में भी शामिल हैं, जिनकी कीमतों में सरकार ने 1.74% वृद्धि की अनुमति दी थी, लेकिन बाजार में इन दवाओं की कुल कीमतों में वृद्धि 15% तक देखी जा रही है।
फुटकर दवा विक्रेताओं की प्रतिक्रिया
मेडिसिन मार्केट और मेडिकल स्टोर के संचालकों का कहना है कि औषधि निर्माता कंपनियां हर 4–6 माह में दवाओं के प्रिंट रेट में बदलाव करती हैं। इस बार कीमतों में अधिक वृद्धि पैकेजिंग और ब्रांडिंग कारणों से हुई है। चार महीने पहले भी दवाओं के दाम करीब 10% बढ़ाए गए थे और अब फिर 15% तक की बढ़ोतरी हुई है।
मोनोपोली दवाओं के दाम घटे
कुछ मोनोपोली (एकाधिकार वाली) ब्रांडेड दवाओं के दामों में गिरावट भी आई है। इनमें एंटीबायोटिक दवाएं, इंजेक्शन और आईवरमैट्रिन जैसी दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं के पेटेंट समाप्त होने के बाद कई कंपनियों द्वारा निर्माण शुरू किए जाने से प्रतिस्पर्धा बढ़ी और कीमतें गिरीं।
जेनेरिक दवाएं अभी भी सस्ती
उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉर्पोरेशन के निदेशक अनिल झा ने कहा कि जेनेरिक दवाओं के मूल्य में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मूल्य वृद्धि मुख्य रूप से ब्रांडेड दवाओं की पैकेजिंग और मार्केटिंग लागत में बढ़ोतरी के चलते हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि NLEM में शामिल दवाओं की कीमतें नियंत्रित सीमा के भीतर हैं।