रांची: होटल रेडिसन ब्लू चल रहे तीन दिवसीय ईस्टर्न हेमेटोलॉजी ग्रुप के 9वें वार्षिक कॉन्फ्रेंस का रविवार को समापन हो गया। जिसमें देशभर से 60 से अधिक प्रतिष्ठित हेमेटोलॉजिस्ट और 450 से ज्यादा डॉक्टरों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य रक्त विकारों जैसे सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर, लिंफोमा, एप्लास्टिक एनीमिया पर शोध और जागरूकता को बढ़ावा देना रहा। इस दौरान जुटे विशेषज्ञों ने रक्त विकारों को लेकर मंथन किया।
मुख्य अतिथि डॉ कर्नल ज्योति कोतवाल श्री गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन हेमेटोलॉजी के क्षेत्र में नई तकनीक और जागरूकता के प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने झारखंड में सिकल सेल मिशन की प्रगति पर संतोष जताया, लेकिन इसके इलाज और स्क्रीनिंग के लिए और अधिक रेफरल सेंटर तथा एक जेनेटिक लैब की आवश्यकता बताई।
जागरूकता की है कमी
केजीएमयू लखनऊ से आए डॉ शैलेंद्र प्रसाद वर्मा ने कहा कि ब्लड से जुड़ी बीमारियों के मरीज अक्सर देर से अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे उनका इलाज मुश्किल हो जाता है। वहीं ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ अभिषेक रंजन ने कहा कि झारखंड में हेमेटोलॉजी सुविधाएं सीमित हैं और जागरूकता की भारी कमी है। डॉ अजय के महलका ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में नए प्रोटोकॉल और तकनीकी विषयों पर चर्चा की गई। रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा केस प्रेजेंटेशन भी किए गए, जिन्हें सम्मानित किया गया।
सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में पीजी स्टूडेंट्स, एनजीओ प्रतिनिधि और राज्यभर के डॉक्टरों ने भाग लिया। इस सम्मेलन से झारखंड के चिकित्सकों को नई दिशा मिलेगी और गांव-गांव तक हेमेटोलॉजी संबंधी जागरूकता फैलाने में मदद मिलेगी।