जामताड़ा: जामताड़ा पुलिस के हत्थे चढ़े शातिर साइबर ठगों से जो साक्ष्य मिले हैं वह आम लोगों के लिए तो चौंकाने वाले हैं ही, इन्हें पुलिस महकमे के लिए भी नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। यह जानकर कोई भी चौंक जा रहा है कि पुलिस के हाथ लगा साइबर ठगी का मास्टर माइंड मेहबूब आलम उर्फ डीके बोस, आरिफ अंसारी उर्फ डीके और शेख बेलाल उर्फ डीके बस आठवीं से दसवीं पास है। लेकिन ये शातिर चैट जीपीटी और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेंज जावा समेत अन्य लैंग्वेज के साथ तकनीकी रूप से इतने दक्ष हैं कि ये खुद ही कई तरह की एपीके फाइल डपलप कर रहे थे।
ढाई लाख लोगों को बना चुके हैं ठगी का शिकार
इन एपीके फाइल की मदद से ही अबतक इन शातिरों ने ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है। इतना ही नहीं इन शातिरों ने पुलिस बचने को जो तरीका अपनाया वह और भी नायाब है। विश्वस्त पुलिस सूत्रों के अनुसार जिस दौरान ये साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम देते थे, उस दौरान पुलिस से निगरानी करने के लिए ये ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करते थे। ताकि इन्हें पुलिस के आने की भनक दूर से ही मिलती रहे।
देशभर में 415 से अधिक साइबर अपराध से जुड़े तार
तकनीकी रूप से दक्ष इन शातिरों का दायरा इतना व्यापक और किस कदर चुनौतियों भरा है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चैट जीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ इन शातिरों के बारे में गहन पड़ताल के लिए पुलिस को कई तरह की मदद की जरूरत मांगनी पड़ रही। इन्हीं वजहों से इस मामले में अनुसंधान में मदद को पुलिस ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र और गृह मंत्रालय से मांगी है। ताकि इसमें शामिल अन्य लोगों तक पहुंच कर पड़ताल पूरी की जा सके। आई-फोर सी के समन्वय पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार अपराधी देशभर में 415 से अधिक साइबर अपराध के मामलों से जुड़े हैं। जिनमें करीब 11 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के मामले में शामिल हैं।
एक्सपर्ट शातिरों ने 100 से भी ज्यादा बना रखे थे फर्जी एपीके :
इस शातिरों की तकनीकी पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने पीएम किसान योजना एपीके, पीएम फसल बीमा योजना एपीके, कई बैंकों के एपीके व एनपीसीआई इंटरनेशनल के नाम से फर्जी मोबाइल एपीके बनाकर हजारों लोगों के खातों में सेंधमारी की। इतना ही नहीं इन अपराधियों के मोबाइल से छापेमारी के दौरान 100 से अधिक ऐसे फर्जी मोबाइल एपीके बरामद हो चुके हैं। जिनका इस्तेमाल ये शातिर अपनी ठगी के धंधे के लिए करते थे।
लोगों के एसएमएस, ओटीपी देखने में थे सक्षम
पुलिस टीम अब इनकी जांच में जुटी है। साथ ही इस गिरोह के पास से एक फर्जी केंद्रीकृत पैनल भी मिला, जिससे हजारों लोगों के एसएमएस को ये आसानी से देख सकते थे। साथ ही इनमें वाट्स-एप ओटीपी, फोन-पे लाग-इन ओटीपी, बैंकिंग लेनदेन आदि शामिल हैं। जबकि आरोपियों द्वारा बनाई गई वेबसाइट भी इनके मोबाइल से बरामद हुए हैं। ये अपराधी एंड्रायड साफ्टवेयर डेवलपमेंट के विशेषज्ञ हैं और मेलवेयर डेवलपमेंट के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल करते हैं।
डीके बोस नाम से बना रखा था ग्रुप
जामताड़ा एसपी एहतेशाम वकारिब ने बताया कि गिरफ्त में आए तीन शातिर डीके बास के छद्म नाम से काम कर रहे थे। इनके द्वारा डपलप फर्जी एपीके अन्य साइबर अपराधियों के बीच काफी लोकप्रिय थे। इन एपीके एप के जरिए ठगी के लिए इन शातिरों ने हजारों जो एपीके आधारित धोखाधड़ी करने वाले गुर्गे बना रखे थे। जिन्हें ये अपने द्वारा डवलप किए एपीके 25-30 रुपये प्रति एपीके की दर से बेचते भी थे। इनमें से चार शातिर पहले भी साइबर ठगी के मामले में जेल जा चुके हैं।
ठगी के लिए ना तो फोन काल और ना ही लेते थे ओटीपी
जांच में जो बात सामने आई है वह चौंकाने वाले और सुरक्षा के लिहाज से बेहद ही खतरनाक हैं। इन शातिरों ने ऐसे एपीके फाइल डवलप कर रखी थी, जिसके सहारे ना तो इन्हें किसी को काल करने की जरूरत पड़ती थी और ना ही ओटीपी मांगने की ही। जो भी व्यक्ति इनके एपीके फाइल को अपने मोबाइल पर धोखे से भी अपलोड कर लेता था उनके सारे डिटेल्स ये अपने घर बैठे ही देख लेते थे। ऐसे में लोगों को इस बात का तनिक भी अंदेशा नहीं होता था कि वह ठगी का शिकार हो रहा है।