Hariyali Teej : इस वर्ष हरियाली तीज का पावन व्रत रवि योग के शुभ संयोग में 27 जुलाई को रखा जाएगा। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, इस विशेष योग में किए गए सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होते हैं और उनका परिणाम सदैव शुभ फलदायक होता है। आचार्य एके मिश्रा ने पंचांग के हवाले से बताया कि तृतीया तिथि का प्रवेश 26 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है, और यह तिथि 27 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, हरियाली तीज का त्योहार 27 जुलाई को मनाया जाएगा।
अखंड सौभाग्य की प्राप्ति का व्रत
यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं, हरी चूड़ियां पहनती हैं और माता गौरी, भगवान गणेश और महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। आचार्य एके मिश्रा ने बताया कि इस दिन मघा नक्षत्र का पड़ना उन्नति, प्रगति और अच्छे स्वास्थ्य का सूचक है। इस नक्षत्र के योग से व्रत की महिमा और भी कई गुना बढ़ जाती है।
पति की लंबी आयु के लिए विशेष पूजा
इस शुभ दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए सिद्धिविनायक भगवान गणेश, महादेव और माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करेंगी। आचार्य ने बताया कि ईश्वर का नाम जपने और सत्कर्म करने के लिए यह रवि योग अत्यंत उत्तम माना गया है। यह पवित्र व्रत माता पार्वती और भगवान शंकर के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, और इसी कारण इसे सावन तीज के नाम से भी जाना जाता है।
पूजा विधि और मनोकामना पूर्ति के उपाय
आचार्य एके मिश्रा ने बताया कि पति की दीर्घायु और संपन्नता के लिए पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है। इसके साथ ही, दुर्गा जी के 108 नामों का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। परिवार की उन्नति और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाकर दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें।
पौराणिक महत्व
उन्होंने हरियाली तीज के पौराणिक महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि प्राचीन कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने 107 जन्म तपस्या में बिताने के बाद अंततः 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस व्रत को करने से स्त्री को अपने पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक माना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं, अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सावन मास के मधुर गीत गाकर हरियाली तीज का आनंदमय उत्सव मनाती हैं।
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