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कहीं जलते अंगारों पर चलकर, तो कहीं एक-दूसरे को रंग लगाकर, जानें देश भर में कैसे मनाई जा रही होली

by Rakesh Pandey
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Holi 2024: देश भर में होली का त्योहार हर्षाेल्लास से मनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लोग एक-दूसरे से मिलकर उन्हें रंग-गुलाल लगा रहे हैं। इस बार की होली इसलिए भी ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि अगले महीने से लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। अलग-अलग पार्टियों के नेताओं पर भी होली का रंग खूब चढ़ता दिख रहा है। वहीं देश के अलग-अलग राज्यों में वहां की परपंरा के अनुसार होली मनाई जा रही है। कोई अबीर-गुलाल लगाकर होली मना रहा है, तो कोई एक दूसरे से गले मिलकर होली की बधाई दे रहा है। आइए जानते हैं बाकी जगहों पर कैसे होली मनाई जा रही है।

गुजरात 

गुजरात के खेड़ा में हर साल की तरह इस बार भी पारंपरिक तरीके से होली मनाई जा रही है। यहां होली का नजारा देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। यहां हर साल लोग पारंपरिक तरीके से जलते अंगारों पर चलकर होली मनाते है। खेड़ा के पलाना गांव में ग्रामीणों ने जलते अंगारों पर चलकर ‘होलिका दहन’ मनाया।

अयोध्या 

अयोध्या के राम मंदिर में होली पर भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है। लोग होली पर भगवान राम लला का दर्शन करने पहुंचे हैं। अयोध्या में श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के बीच एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली खेली।

उत्तर भारत

उत्तर भारत के राज्यों में होली का उत्सव दो दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जबकि इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस त्यो हार के पहले दिन को जलाने वाली होली, छोटी होली या होलिका दहन के नाम से जाना जाता है। इस दिन हर चौराहे और गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होलिका सजाई जाती है। इसके बाद होलिका की पूजा की जाती है और उसकी परिक्रमा करने के बाद होलिका में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है। इस दौरान लोग गीत गाते और नाचते हैं। होलिका दहन के बाद अगले दिन एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने की परंपरा है।

पश्चिम बंगाल

देश के पूर्वी हिस्से में होली का त्योहार कुछ अलग ढंग से मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में होली को दोल पूर्णिमा, दोल जात्रा या बसंत उत्सव कहा जाता है। होली के दिन शहर में राधा-कृष्ण की शोभायात्रा निकाली जाती है। भगवान कृष्ण और अग्निदेव की पूजा की जाती है। उसके बाद भगवान कृष्ण की प्रतिमा को गुलाल लगाकर त्योहार की औपचारिक शुरुआत की जाती है। असम के लोग होली को अक्सर फकुवा या दोल कहते हैं।

उत्तराखंड

उत्तराखंड की कुमाऊंनी होली देश भर में काफी लोकप्रिय है। महिला और पुरुष इस पर्व पर कुमाऊंनी वेशभूषा पहनकर समूह में पारंपरिक गीतों पर नाचते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान, हर कोई उमंग और उल्लास में डूबा नजर आता है। यह पर्व संस्कृति प्रेम का शानदार उदाहरण है।

Holi 2024: रंगों की होली क्यों मनाई जाती है

होली का भगवान श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का रंग सांवला था और राधा रानी गोरी थीं। इसकी शिकायत श्रीकृष्ण ने मैया यशोदा से कई बार की और मैया उन्हें समझा-बुझाकर टालती रहीं। जब वह नहीं माने तो मैया ने यह सुझाव दिया कि जो तुम्हारा रंग है, उसी रंग को राधा के चेहरे पर भी लगा दो। नटखट कान्हा ने राधा रानी को फूलों से बना रंग, गुलाल लगा दिया। तभी से रंगों की होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई।

 

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