जमशेदपुर: ओलचिकी हुल बैसी की और से अपने 4 सूत्री मांगों के आलोक में मंगलवार काे बुलाए गए बंद का जमशेदपुर के आस पास के क्षेत्राें में व्यापक असर देखने काे मिल रहा है। सुबह से ही बंद समर्थक एनएच 33 थ्री, करनीडीह, गम्हरिया मानगाे आदि क्षेत्राें में निकले और दुकानाें से लेकर यातायात व्यवस्था तक काे राेक दिया।
मानगाे चाैक पर महिला प्रदर्शनी कारियाें ने डिमने से साकची की ओर से जाने वाले मुख्य सड़क काे जाम कर दिया। जिसकी वजह से यहां जाम लग गया औरर गाड़ियाें का लंबा काफिला सड़क के दाेनाें छाेर पर देखने काे मिला। वाहन रूक जाने की वजह से लाेगाें काे खासा परेशानी हुई उन्हें पैदल ही शहर की ओर रूख करना पड़ा।
यही हाल करनडीह, परसुडीह, गम्हरिया, पारडीह आदि क्षेत्राें में देखने काे मिला। हालांकि शहर में बंद का आंशिक असर देखने काे मिला और एक्का दुक्का दुकानाें काे छाेड़ दें ताे सभी प्रमुख बड़े बाजार खुले रहे।
एनएच 33 तीन घंटे से बंद:
डिमना चाैक पर भी प्रदर्शनी कारी जुटे और यहां से गुजरने वाले एनएच-33 काे अवरूध कर दिया। इसकी वजह से एनएच पर गाड़ियाें की लंबी कतार लगी नजर आयी। इस दाैरान करीब दाे घंटे से अधिक देरी तक एनएच जाम रहा है। जिसकी वजह से लाेगाें काे खासी दिक्कताें का सामना करना पड़ा।

करनडीह की तस्वीर
हालांकि राहत की बात यह रही की एंबुलेंस स्कूल बस आदि काे प्रदर्शनकारी रास्ता देते दिखे। इस दाैरान बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात नजर आए। वहीं एनएच काे अवरूद्ध किए जाने से जमशेदपुर घाटशिला या रांची जाने वाले लाेगाें काे परेशानी का सामना करना पड़ा
करनडीह में सुबह 8 बजे से दिखने लगा गंद का असर:
जमशेदपुर के करनडीह क्षेत्र में सुबह 8 बजे से ही प्रदर्शनकारी सड़कर पर आ गए थे। इस दाैरान उन्हाेंने जमशेदपुर काे जाेड़ने वाले मुख्य मार्ग काे जाम कर दिया।

मानगो गोलचक्कर की तस्वीर
जिसकी वजह से एक भी वाहन यहां से नहीं गुजर सका और लाेगाें काे तीन से चार किलाेमीटर की दूरी पैदल चकर शहर में अपने जरूरी कार्य के लिए जाना पड़ा। यहां कई बार प्रदर्शनकारी उग्र हाेते भी दिखे।
टाटा खड़गपुर रेलवे ट्रैक भी प्रभावित:
बंद समर्थकाें ने टाटा खड़गपुर ट्रैक काे भी जाम कर दिया। इस दाैरान सैकड़ाें की संख्या में बंद समर्थक यहां पहुंचे अाैर ट्रैक बर बैठ गए।
जिसकी वजह से यह पूरा सेक्सशन पूरी तरह ठप्प हाे गया है और ट्रेने जहां की तहा रूकी हुई हैं। इसकी वजह से यात्रियाें काे परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है।
प्रदर्शनकारियाें की क्या है मांगे:
प्रदर्शन कारी संताल भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने, अलग से संताली एकेडमी का गठन करने, संताली भाषा का ऑलचिकि लिपि से पुस्तकों का मुद्रण एवं पठन पाठन आरंभ करने, संताली शिक्षकों की बहाली की मांग कर रहे हैं।
उनका आरोप है उनकी मांगों को झारखंड सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। जकसी वजह से उन्हें प्रदर्शन का मार्ग अपनाना पड़ा है।