Ranchi (Jharkhand) : झारखंड हाईकोर्ट ने आज कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण और राहत भरा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने सेवानिवृत्ति की उम्र से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है, खासकर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्यरत डेमोंस्ट्रेटर अब 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे।
यह अहम फैसला झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनाया। इस मामले में ब्रजेश कुमार वर्मा, भुवनेश्वर प्रसाद गुप्ता और अन्य कर्मचारियों ने याचिका दायर की थी। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम ने अदालत में प्रभावी दलीलें पेश कीं, जिन्होंने कर्मचारियों के हितों का पुरजोर समर्थन किया।
दरअसल, राज्य सरकार ने पहले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्यरत डेमोंस्ट्रेटर की सेवानिवृत्ति की आयु को घटाकर 60 वर्ष कर दिया था, जिसके खिलाफ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कर्मचारियों ने अपनी याचिका में राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए इसे अन्यायपूर्ण बताया था। उन्होंने तर्क दिया था कि उनकी कार्यक्षमता और अनुभव को देखते हुए सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष ही होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान से सुना और सभी पहलुओं पर विचार किया। इसके बाद न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें सेवानिवृत्ति की आयु को घटाकर 60 वर्ष किया गया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्यरत डेमोंस्ट्रेटर अब 65 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त होंगे।
हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत डेमोंस्ट्रेटर समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। कर्मचारियों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट के इस निर्णय से उन्हें न केवल अधिक समय तक सेवा करने का अवसर मिलेगा, बल्कि उनके अनुभव का भी संस्थान और छात्रों को लाभ मिलेगा।
अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम ने हाईकोर्ट के इस फैसले को कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत बताते हुए कहा कि न्यायालय ने कर्मचारियों के तर्कों को स्वीकार करते हुए उनके हितों की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी कर्मचारियों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
राज्य सरकार को अब हाईकोर्ट के इस फैसले का पालन करना होगा और कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में कार्यरत डेमोंस्ट्रेटर की सेवानिवृत्ति की आयु को 65 वर्ष मानना होगा। इस फैसले का राज्य के शिक्षा क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि अनुभवी डेमोंस्ट्रेटर अधिक समय तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य सरकार विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर कई नीतिगत बदलाव कर रही है। हाईकोर्ट का यह निर्णय निश्चित रूप से अन्य विभागों के कर्मचारियों के लिए भी एक उम्मीद की किरण लेकर आया है।