लोहरदगा (झारखंड) : झारखंड के लोहरदगा जिले में शुक्रवार को उपायुक्त डॉ. ताराचंद की अध्यक्षता में भू-अर्जन और मुआवजा भुगतान से संबंधित एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिले के विभिन्न परियोजनाओं, खासकर एनएच-143ए पर लोहरदगा बाईपास निर्माण की प्रगति पर चर्चा हुई।
लोहरदगा बाईपास परियोजना: सरकार की प्राथमिकता
बैठक के दौरान उपायुक्त ने कहा कि लोहरदगा बाईपास परियोजना झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस सड़क परियोजना के निर्माण से जिले में आवागमन की सुविधा बेहतर होगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि परियोजना में किसी भी तरह की देरी अस्वीकार्य है।
मुआवजा भुगतान में तेजी लाने का निर्देश
डीसी ने बताया कि भूमि-अधिग्रहण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक 100% रैयतों को मुआवजा नहीं मिला है। यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने भू-अर्जन पदाधिकारी को सख्त निर्देश दिया कि लंबित भुगतान मामलों को तत्काल निपटाया जाए। डीसी ने कहा कि परियोजना में देरी से जिले के विकास पर असर पड़ेगा। जिन रैयतों का अभिलेख सत्यापित हो चुका है, उनका फौरन भुगतान करें। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
भू-अर्जन विभाग की पहल
बैठक में जानकारी दी गई कि जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों के माध्यम से रैयतों से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर भुगतान प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उपायुक्त ने यह भी कहा कि सभी योजनाओं का समय पर क्रियान्वयन जिले के विकास के लिए अनिवार्य है।
परियोजना में देरी क्यों खतरनाक है?
लोहरदगा बाईपास परियोजना न केवल यातायात सुगम बनाएगी, बल्कि यह जिले के व्यापार और उद्योग को भी बढ़ावा देगी। अगर मुआवजा भुगतान में देरी होती है, तो सड़क निर्माण कार्य रुक सकता है और सरकार की योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
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