जमशेदपुर : पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण उनके नाराज होने की खबरें सामने आने के बाद भाजपा नेतृत्व उन्हें मनाने की कवायद में जुट गया है। सोमवार को प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सांसद आदित्य साहू, रांची से सीधे पोटका पहुंचे और पूर्व विधायक मेनका सरदार के हाता स्थित आवास पर उनसे मुलाकात की। इस बैठक को पूरी तरह गोपनीय रखा गया, और मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी गई।
मेनका सरदार, जो टिकट कटने के बाद से पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं, ने बगावत के संकेत दिए थे। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया और अपना त्यागपत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया, जिसे मीडिया में भी लीक कर दिया गया।
मीरा मुंडा ने लिया आशीर्वाद
इससे पहले, पोटका से भाजपा की घोषित प्रत्याशी मीरा मुंडा भी मेनका सरदार से मिलने उनके आवास पहुंची थीं। मीरा मुंडा ने पूर्व विधायक से जीत का आशीर्वाद लिया और उनके साथ सौहार्दपूर्ण बातचीत की। मीरा मुंडा की इस मुलाकात के बावजूद, मेनका सरदार की नाराजगी पूरी तरह दूर नहीं हो पाई, जिसके चलते पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को उन्हें मनाने के लिए भेजा।
मेनका सरदार की राजनीतिक यात्रा
मेनका सरदार वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में हारने के बाद से राजनीति में अपेक्षाकृत निष्क्रिय हो गई थीं। हालांकि, चुनाव नजदीक आने पर उन्होंने फिर से सक्रियता दिखाई, लेकिन पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया। इस फैसले से मेनका सरदार काफी आहत हुईं और उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। उनके इस निर्णय से पार्टी में खलबली मच गई है, और अब पार्टी नेतृत्व उन्हें मनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
आदित्य साहू का हस्तक्षेप
आदित्य साहू की मेनका सरदार से यह मुलाकात भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्योंकि मेनका सरदार की नाराजगी से पार्टी को नुकसान हो सकता है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री व राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने अपने रांची दौरे को बीच में रोकते हुए सीधे पोटका का रुख किया। इस मुलाकात को भाजपा की ओर से एक प्रमुख कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व किसी भी हाल में मेनका सरदार को साथ बनाए रखना चाहता है।
भाजपा के लिए चुनौती
मेनका सरदार की नाराजगी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि उनके बगावती रुख से पोटका में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है। पार्टी, जो एकजुटता और अनुशासन की राजनीति के लिए जानी जाती है, अपने वरिष्ठ नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती। मेनका सरदार का पार्टी के साथ बने रहना चुनावी समीकरणों में भाजपा के लिए अहम साबित हो सकता है। अब यह देखना यह है कि आदित्य साहू की इस मुलाकात से मेनका सरदार की नाराजगी दूर होती है या नहीं।
प्रदेश नेतृत्व ने इस्तीफा स्वीकार किया या नहीं, पता नहीं : मेनका सरदार
हालांकि सोमवार को टेलीफोनिक बातचीत के दौरान मेनका सरदार ने “द फोटोन न्यूज” से कहा कि उन्होंने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को त्यागपत्र दे दिया है। प्रदेश नेतृत्व ने उसे स्वीकार किया है या नहीं, उन्हें नहीं पता। बावजूद फिहला वह अपने फैसले पर कायम हैं।
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