धनबाद : 2647 करोड़ रुपये खर्च कर धनबाद शहरी क्षेत्र से हर दिन निकलने वाले 192 एमएलडी (मिलियन लीटर डे) गंदे पानी का न केवल ट्रीटमेंट किया जाएगा, बल्कि इसे दोबारा प्रयोग करने लायक भी बनाया जाएगा। दामोदर एवं इसकी सहायक नदियों को प्रदूषित होने से बचाना है। भविष्य में शोधित किए जाने वाले इस पानी का व्यावसायिक उपयोग भी किया जाएगा। धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट के अंतर्गत विभिन्न स्रोतों से दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में गिरने वाले इस गंदे पानी को शोधित करने की योजना है।
प्रथम चरण में 792 करोड़ और दूसरे चरण में 1857 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रथम चरण की टेंडर प्रक्रिया जारी है और इसमें देशभर की 12 कंपनियों ने काम करने की दिलचस्पी दिखाई है। दूसरे चरण का डीपीआर बन चुका है। इसे अमल में लाने के उद्देश्य से शनिवार को धनबाद क्लब में सभी स्टेक होल्डर की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस दौरान जुडको की कंसल्टेंसी एजेंसी एनजेएस कंसल्टिंग इंजीनियरिंग ने डीपीआर पर प्रजेनटेशन दिया। इसमें धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-दो में क्या-क्या काम किए जाने हैं, कितनी राशि खर्च होगी, कब काम शुरू होगा, इन मुद्दों पर चर्चा हुई।
एजेंसी ने बताया कि मलमूत्र के निस्तारण के लिए पांच में से दो बड़े प्लांट के पास दो बायो गैस पावर प्लांट बनाने की योजना है। इसके साथ ही शोधित पानी को वापर प्लांट को बेचा भी जा सकेगा।
इससे निगम को आय भी होगी। इस दौरान सांसद पीएन सिंह, झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, उपायुक्त वरुण रंजन और नगर आयुक्त रविराज शर्मा ने बेहतर सीवरेज सिस्टम के लिए अपने सुझाव भी दिए। 2024 अंत तक इस योजना के शुरू होने की संभावना है और इसे पूरा होने में तीन से चार वर्ष का समय लगेगा। ऐसा कह सकते हैं कि 2028 में धनबाद सीवरेज सिस्टम धरातल पर काम करने लगेगा। निगम के 55 वार्ड को पांच जोन में बांटकर योजना बनाई गई है।
एजेंसी के अनुसार मिड ईयर यानी 2041 एवं अल्टीमेट ईयर 2056 तक धनबाद की आबादी को देखते हुए सीवरेज ड्रेनेज प्लांट की योजना बनाई गई है। 2041 तक निगम क्षेत्र से हर दिन 192 एमएलडी और 2054 तक 234 एमएलडी सीवेज निकलेगा। एनजेएस की ओर से जीएम झारखंड बाला अंकैया एवं निदेशक योगेश्वर गोखले ने प्रजेनटेशन दिया। कार्यक्रम का संचालन निगम का ब्रांड एंबेसडर शांभवी सिंह ने किया। इस अवसर पर जुडको के रामाशीष रजक, एनजेएस के डजाइन इंजीनियर आनंद तिवारी, पर्यावरण विशेषज्ञ सुरेश खंडूरी, अपर नगर आयुक्त महेश्वर महतो, सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार, प्रसून कौशिक एवं सभी सिटी मैनेजर उपस्थित थे।
धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-एक में बनेगा एसटीपी
धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-1 पर 792 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना के अंतर्गत नगर निगम क्षेत्र से हर दिन निकलने 192 एमएलडी गंदे पानी को दामोदर एवं अन्य नदियों में जाने से रोका जाएगा। इसके लिए नदियों के किनारे पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर गंदा पानी एकत्रित किया जाएगा। फिर इसे शोधित कर दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में छोड़ दिया जाएगा। इसमें लिए पांच जगह एसटीपी बनेगा। इसमें कतरी नदी रामपुर में 18 एमएलडी, वासुदेव नदी पांडरकनाली में 21, मटकुरिया नाला जामाडोबा में 75, जोरिया नाला परसबनिया में 60 और गोविंदपुर-बलियापुर नाला धांगी में 18 एमएलडी यानी पांचों को मिलाकर 192 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनाया जाएगा। इसके साथ ही गैस-बिजली उत्पादन, स्लज मैनेजमेंट भी योजना में शामिल है। प्रथम चरण की योजना पर नमामि गंगे के अंतर्गत राशि खर्च होगी।
धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-दो में 800 किमी की सीवर लाइन
द्वितीय चरण की योजना में निगम के सभी 55 वार्ड के प्रत्येक घर को सीवर लाइन से जोड़ना है। वार्ड की संख्या के आधार पर इसे पांच जोन में बांटा गया है। पूरे निगम क्षेत्र में लगभग 800 किमी की सीवर लाइन बिछाई जाएगी। यह पांचों एसटीपी से जुड़ेगा। प्रत्येक घर से निकलने वाले गंदा पानी एवं मलमूत्र सीवर लाइन से होता हुआ प्लांट पहुंचेगा। यहां इसे शोधित कर दामादोर नदी में प्रवाहित कर दिया जाएगा।
भविष्य की योजना के अनुसार इसे दोबारा प्रयोग में भी लाया जाएगा। दूसरे चरण की योजना पर 1857 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह राशि एशियन डेवलपमेंट बैंक और डिस्ट्रिक्ट माइनिग फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) से खर्च होगी। इसमें अंडरग्राउंड सीवर पाइपलाइन, घर-घर कनेक्शन, सीवेर पंपिंग स्टेशन, सीवेज कलेक्शन आदि काम होगा। जहां सीवर लाइन बिछाने में दिक्कत होगी वहां सेप्टिक टैंक बनेंगे। यहां से सीवेज निकालकर प्लांट तक पहुंचाने का काम 40 गाड़ियां करेंगी।
ये सुझाव आए
– सीवरेज सिस्टम बनने के बाद इसके एवज में आम लोगों से पैसा न लिया जाए, इसपर ध्यान देने की जरूरत है।
– छोटे-छोटे चैंबर बनाकर ट्रांजिट सिस्टम तैयार करें, ताकि कम जगह में सीवर लाइन सुचारू रूप से चल सके।
– हाउस टू हाउस कनेक्शन देने में सड़क खोद दी जाती है। इससे लोगों को परेशानी होती है। इसलिए छोटे-छोटे टुकड़ों में डिस्ट्रब्यूशन लाइन बिछाने का काम हो।
– माइनिंग एरिया लगातार बढ़ रहा है, इसलिए इसे भी ध्यान में रखते हुए सीवर लाइन बिछाने का काम करें।
– घनी आबादी में डिस्चार्ज अधिक रहेगा। ऐसी जगह अधिक ध्यान दें, यहां अधिक व्यास की पाइपलाइन बिछाएं।
– स्लम एरिया में कम्युनिटी चैंबर बनाएं, ताकि समस्या न हो।
– सीवरेज प्लांट के लिए साइट के चयन का ध्यान रखें, ताकि भविष्य में स्थानीय विवाद से बचा जा सके।
– झरिया में काफी घनी आबादी है, यहां सीवरेज सिस्टम कैसे काम करेगा। कई जगह तो बाइक भी नहीं जा सकती।
– धनबाद क्षेत्र में लगते दामोदर के साथ ही इसके आगे-पीछे का एरिया भी स्वच्छ करने की जरूरत है।
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