स्पोर्ट्स डेस्क : आज 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस के मौके पर राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2023) मनाया जाता हैं। मेजर ध्यानचंद की जयंती पर पूरे देश भर में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन पिछले 12 सालों से पूरे देश में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है । भारत सरकार ने 2012 से मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। तब से लगातार राष्ट्रीय खेल का आयोजन होता चला आ रहा है।
भारत के इतिहास में महानतम खिलाड़ी थे मेजर ध्यान चंद्र
मेजर ध्यानचंद भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक थे। अभी तक देश में उनसे बढ़कर खेल के किसी भी प्रारूप में बड़ा खिलाडी़ पैदा नहीं हुआ है। राष्ट्रीय खेल दिवस के आयोजन को लेकर हर आयु वर्ग के लोगों में काफी उत्साह रहता है। विशेष कर युवाओं में राष्ट्रीय खेल दिवस का अलग ही महत्व है। भारत सरकार ने खेल के प्रति लोगों में उत्साह भरने, उन्हें प्रेरित करने तथा उनके स्वास्थ्य को स्वस्थ्य रखने के लिए मेजर ध्यानचंद के जयंती पर राष्ट्रीय खेल मनाने का फ़ैसला किया।
खेल की भावना को प्रेरित करता हैं राष्ट्रीय खेल दिवस
खेल के माध्यम से लोगों में टीमवर्क की भावना बढ़ाने और नेतृत्व के भाव पैदा करने के लिए राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन पूरे देश में कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। खेल पुरस्कार का आयोजन किया जाता है ताकि हमारे देश के युवा नौजवान को पता चल सके कि खेल का क्या महत्व है। साथ खेल के माध्यम से किस प्रकार से देश के गौरव को विश्व में बढ़ाया जा सकता है।
मेजर ध्यानचंद की जयंती पर होता है राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन
आज देश के सभी बच्चे और नौजवान को जानने की जरूरत है कि मेजर ध्यान चंद्र कौन थे व वे किस प्रकार खेलते थे? मेजर ध्यानचंद ने खेल की दुनिया में बहुत बड़ा नाम है। उन्हें हॉकी खेल का जादूगर कहा जाता था। उन्होंने अपने बल पर भारत का नाम पूरे विश्व में रोशन कर दिया था। उन्होंने 1928, 1932, 1936 में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाया था। उन्होंने ओलंपिक जैसे बड़े खेल प्रतियोगिता में देश को गोल्ड मेडल दिलाकर विश्व में देश का मान बढ़ाया था। अभी तक उनके जैसे कोई खिलाडी नहीं हुआ जो उनकी उपलब्धियों तक पहुंच सकें। उन्होंने अपने हॉकी खेल में 570 गोल किये।
कौन थे मेजर ध्यानचंद?
मेजर ध्यान चंद विश्व हॉकी के और भारत हॉकी के कप्तान और बड़े खिलाड़ी थे उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को उतर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनका पूरा नाम मेजर ध्यान चंद सिंह था। उनका पिता का नाम समेश्वर सिंह और माता का नाम शारदा सिंह था। उन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता था। शुरू में उनके भाई रूप सिंह हॉकी खेल से जुड़े थे। शुरू में वे ब्रिटिश सेना में थे, उन्होंनें सेना में रहते हॉकी खेलना शुरू किया था। ध्यान चंद्र ने पढाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने 1932 में विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर से स्नातक की पढाई पूरी की। उन्होंने पूरे 34 साल तक देश की सेवा की। वे 29 अगस्त 1959 को लेफ्टिनेंट पद से रिटायर्ड हुए थे। उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़ा सर्वोच्च पुरस्कार पद्मभूषण दिया गया। उनकी मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में हुआ था।
क्यों कहा जाता था मेजर ध्यानचंद के पास जादू की छडी थी?
विश्व हॉकी के सबसे बड़ा खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बारे में विपक्षी टीम के खिलाडियों की अलग राय होती थी। मेजर ध्यानचंद के स्किल के आगे उनके समकक्ष खिलाडी़ बौना साबित हो जाता था। जब वे हॉकी खेलते थे, उस दौरान स्टिक बाल के साथ चिपकी हुई प्रतीत होती थी। विपक्षी टीम के खिलाडी़ अक्सर सोचते थे कि मेजर ध्यानचंद के पास जादू की छडी है। लेकिन यह वास्तविकता नहीं थी। खेल के दौरान एक बार गेंद उनके स्टिक से टकराती तो वह विपक्षी टीम के गोल पोस्ट तक जाता था। ऐसे थे हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद।
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राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाडियों को किया जाता है सम्मानित
29 अगस्त को खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह के जयंती पर खेल में अच्छे प्रदर्शन करने वाले खिलाडियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। इस दिन खिलाडियों को अलग अलग पुरस्कार दिया जाता है। जिसमें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, मेजर ध्यानचंद पुरस्कार, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ट्रॉफी समेत राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाता है।