जमशेदपुर : इस साल से अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद होने की वजह से बच्चों के एडमिशन का भार अब सरकारी प्लस-टू स्कूलों पर है। इसके लिए सरकार ने सभी जिलों से ऐसे उवि की सूची मांगी है, जिन्हें प्लस-टू में बदला जा सके। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि सरकार मवि को उवि में और उवि को प्लस-टू में उत्क्रमित तो कर रही है। लेकिन इन स्कूलों में न तो शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है और ना ही आधारभूत संरचना विकसित किया जा रहा है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने पिछले साल (2024) पूर्वी सिंहभूम जिले के 9 सहित राज्य के 166 हाई स्कूलों को प्लस टू में उत्क्रमित किया था। इस कदम का उद्देश्य छात्रों को स्थानीय स्तर पर उच्चतर माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराना था। हालांकि, एक साल बीत जाने के बाद भी इन स्कूलों में प्लस टू स्तर के लिए न तो शिक्षकों के पद सृजित किए गए हैं और न ही अन्य स्कूलों से शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किया गया है। इसकी वजह से इन स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
उत्क्रमण के साथ ही इन स्कूलों में न्यूनतम 04 अतिरिक्त वर्ग कक्ष के साथ ही बेंच डेस्क आदि की खरीद पर 110.45 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। किसी भी स्कूलों में अभी तक अतिरिक्त वर्गकक्ष भी नहीं बना। वहीं संबंधित स्कूलों में एडमिशन लेने वाले छात्र यह सवाल उठा रहे हैं कि उन्होंने एक प्लस-टू स्कूल में दाखिला तो ले लिया है लेकिन शिक्षा व शिक्षक उस स्तर के नहीं मिल रहे हैं, जो मिलने चाहिए। उन्हें डर है कि इसका असर बोर्ड परीक्षा पर न हो।
प्लस-टू के छात्रों को पढ़ा रहे उवि के शिक्षक
सबसे चाैकाने वाली बात यह है कि उत्क्रमित हुए स्कूलों के 11वीं कक्षा में पिछले वर्ष ही दाखिला ले लिया गया था और इस वर्ष भी दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, प्लस टू स्तर के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या प्रतिनियोजन नहीं होने की वजह से यहां हाई स्कूल के शिक्षक ही इन छात्रों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है, बल्कि छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई स्कूल और प्लस टू के पाठ्यक्रम में काफी अंतर होता है और बिना विशेष प्रशिक्षण के शिक्षकों से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की उम्मीद करना उचित नहीं है।
उत्क्रमित उवि में मध्य विद्यालय के शिक्षक पढ़ा रहे
जिस तरह से हाईस्कूलों को प्लस-टू में उत्क्रमित किया गया था उसी तरह पिछले वर्ष 7 मध्य विद्यालय को हाईस्कूल में उत्क्रमित किया गया था। लेकिन, इन स्कूलों में भी न तो पद सृजन हुआ और न ही दूसरे हाईस्कूल के शिक्षकों को इन स्कूलों में प्रतिनियोजित किया गया। जबकि, इन सभी स्कूलों में 9वीं कक्षा में दाखिला हुआ और इन छात्रों को एक साल तक मवि के शिक्षक पढ़ाते रहे। जबकि, ये शिक्षक खुद यह कह रहे हैं कि उन्हें उवि के छात्रोंको पढ़ाने को कोई अनुभव नहीं है और बच्चों को पढ़ाने में समस्या भी होती है। लेकिन, विभाग जबरदस्ती इन्हें पढ़ाने के लिए मजबूर कर रहा है।
ये उवि प्लस टू में हुए थे उत्क्रमित, जहां शिक्षकों के पद का नहीं हुआ सृजन
1- उत्क्रमित प्लस उवि, पारूलिया
2- उत्क्रमित प्लस टू उवि, चापड़ी
3- उत्क्रमित प्लस टू टू उवि, हेंसरा
4- उत्क्रमित प्लस टू उवि, भालकी
5- उत्क्रमित प्लस टू उवि, जोड़सा
6- उत्क्रमित प्लस टू उवि, रसिकनगर
7- उत्क्रमित प्लस टू उवि, माहुलिया
8- उत्क्रमित प्लस टू उवि, केरूकोचा
9- उत्क्रमित प्लस टू उवि, तिरिलडीह
यह सही है कि उत्क्रमित हुए स्कूलों में अभी तक पद सृजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। लेकिन, इस दिशा में काम हो रहा है। सरकार हाईस्कूलों व प्लस टू स्कूलों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। शिक्षकों के जहां तक कमी की बात है तो इसे दूर किया जाएगा।
– उमाशंकर सिंह, शिक्षा सचिव