Jamshedpur : सारंडा सघन वन क्षेत्र में से तकरीबन 57000 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। 57000 हेक्टेयर में वन्य जीव अभ्यारण्य बनेगा और उसके भीतर करीब 13000 हेक्टेयर क्षेत्र को रिजर्व घोषित किया जाएगा। झारखंड सरकार को 23 जुलाई को हर हाल में सारंडा वन्य जीव अभयारण्य का प्रारूप सुप्रीम कोर्ट में पेश करना है। सारंडा संरक्षण अभियान के बैनर तले अभ्यारण्य बनाने की मांग 2009 से लगातार उठती रही है। लेकिन अब सारंडा संरक्षण अभियान के तहत वन्य जीव अभयारण्य की मांग 16 साल बाद धरातल पर उतर रही है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि सारंडा वन प्रमंडल में क्षेत्र सीमांकन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। चाईबासा के उपायुक्त ने इसे लेकर काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इसका प्रारूप पेश होने की तैयारी चल रही है। इसके पहले वन्यजीव अभयारण्य का खाका तैयार लिया जाएगा।
1970 में बना था सारंडा वर्किंग प्लान
बताया जा रहा है कि जब 1970 में सारंडा का वर्किंग प्लान बना था, तब उसमें यह अंकित था कि ब्रिटिश पीरियड में सारंडा के ससंडा इलाके को अभ्यारण्य के रुप में चिन्हित किया गया था। जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने भी वन्यजीव अभयारण्य को लेकर काफी काम किया है। उन्होंने विधानसभा में तीन बार अधिसूचना उपलब्ध कराने की मांग की। वन विभाग में कहीं वह अधिसूचना नहीं मिली। वन विभाग के अधिकारी पटना के गुलजारबाग प्रेस में भी गए। वहां भी अधिसूचना नहीं मिली। लोगों ने मान लिया था कि वह अधिसूचना नहीं है। तब सारंडा के ससंदा इलाके को संरक्षित बनाना संभव नहीं होगा।
दो साल पहले एनजीटी ने दिया था आदेश
सतत प्रयास से जब यह मामला एनजीटी में गया, तो दो साल पहले एनजीटी ने निर्देश दिया कि सरकार ससंदा क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य बनाए। सरकार ने इस निर्देश को लागू नहीं किया। तब वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. आरके सिंह सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। तब झारखंड सरकार के वन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी। उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 23 जुलाई तक सरकार वन्यजीव अभयारण्य का प्रारूप पेश करे। अब माना जा रहा है कि प्रारूप पेश हो जाएगा तो सारंडा को जो पेड़ काटने वालों और खनन करने वालों से नुकसान हो रहा है, वह रुक जाएगा।
700 पहाड़ियों वाला वन क्षेत्र है सारंडा
अभियान इसलिए चलाया गया था कि सारंडा का संरक्षण होना चाहिए। सारंडा 700 पहाड़ियों वाला क्षेत्र है। यहां वन्य जीव अभ्यारण्य बनेगा तो वन्य जीवों का संरक्षण तो होगा ही, सारंडा वन क्षेत्र भी बच जाएगा।
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