–सेंट्रल डेस्क: रतन टाटा के करीबी असिस्टेंट शांतनु नायडू ने 86 साल की उम्र में टाटा के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। रतन टाटा न केवल बिज़नेस इंडस्ट्री के एक दिग्गज थे, बल्कि भारत में कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी थे। अपने मार्मिक संदेश में नायडू ने उनकी विशेष दोस्ती को दर्शाया, जो उनकी अलग-अलग उम्र और विचारों को एक साथ दर्शाता है। पूरा देश इस महान शख्सियत के नहीं रहने पर शोक मना रहा है। नायडू के शब्द हमें रतन टाटा के इतने सारे लोगों के जीवन पर पड़े सकारात्मक प्रभाव की याद दिलाते हैं।
बोले नायडू- इस दोस्ती ने मेरे अंदर खालीपन छोड़ दिया
लिंक्डइन पर एक पोस्ट में नायडू ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा, “इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन छोड़ दिया है, मैं अपना बाकी जीवन उसे भरने की कोशिश में बिताऊंगा। प्यार के लिए दुख चुकाना पड़ता है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।”
ऐसी हुई थी दोस्ती शुरू
दोनों की दोस्ती 2014 में शुरू हुई जब नायडू ने आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए रिफ़्लेक्टिव कॉलर बनाए। उनकी करुणा से प्रभावित होकर रतन टाटा ने उन्हें अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद उनके पेशेवर संबंध जल्द ही घनिष्ठ मित्रता में बदल गए। नायडू टाटा के साथी बन गए। खासकर उनके बाद के वर्षों में जब वे कभी-कभार ही सार्वजनिक रूप से उनके साथ दिखाई देते थे।
साथ में शुरू किया था बिज़नेस
शांतनु नायडू ने मई 2022 से रतन टाटा के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। उन्होंने न केवल टाटा के निजी असिस्टेंट के रूप में काम किया, बल्कि उनके बिज़नेस को मैनेज भी किया। नायडू गुडफेलो के संस्थापक भी हैं, जो एक ऐसी कंपनी है जो बुज़ुर्ग लोगों को उनके बुढ़ापे में सहारा देती है। इस कंपनी का काम लगभग 5 करोड़ रुपये का है।
लोगों के दिलों में गूंज रहे नायडू के शब्द
रतन टाटा के निधन पर पूरा देश शोक मना रहा है। वहीं शांतनु नायडू के शब्द कई लोगों के दिलों में गूंज रहे हैं। एक ऐसे व्यक्ति का सम्मान करते हुए जो न केवल बिज़नेस में एक दिग्गज थे, बल्कि ज्ञान और दयालुता के स्रोत भी थे। उनके निधन की खबर से दुनिया भर में श्रद्धांजलि की बाढ़ आ गई। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा ने न केवल टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया, बल्कि राष्ट्र के लिए भी बहुत बड़ा योगदान दिया।