Central Desk : दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सदियों पुराने सीमा विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया है। एक हिंदू मंदिर को केंद्र बनाकर शुरू हुए सैन्य तनाव में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है और 14 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सीमा पर लगातार गोलीबारी, हवाई हमले और ड्रोन की तैनाती ने दोनों देशों के बीच हालात को युद्ध जैसे बना दिया है।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
इस संघर्ष की जड़ें 11वीं सदी के एक प्राचीन हिंदू मंदिर से जुड़ी हैं, जिसे कंबोडिया ने यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कराने की कोशिश की थी। थाईलैंड ने इसका विरोध किया था। वर्ष 2008 के बाद से इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हो चुकी हैं। हाल ही में मई में एक झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया।
ताजा झड़प का सिलसिला कैसे शुरू हुआ?
गुरुवार सुबह 6:30 बजे के आसपास सीमा पर तनाव उस समय बढ़ गया जब थाई सैनिकों ने कथित तौर पर कंबोडिया की सीमा में स्थित उस मंदिर की ओर बढ़त बनाई और वहां कंटीली तार लगा दी। इसके कुछ समय बाद ड्रोन छोड़ा गया और करीब 8:30 बजे थाईलैंड की ओर से हवाई फायरिंग की गई। कंबोडिया ने आरोप लगाया कि थाई सैनिकों ने बिना चेतावनी गोलीबारी शुरू की, जिससे उन्हें आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।
एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार
दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने के आरोप लगाए हैं। थाईलैंड ने कंबोडिया पर रॉकेट और तोपों से हमला करने का आरोप लगाया, जबकि कंबोडिया ने थाईलैंड पर अत्यधिक बल प्रयोग और हवाई बमबारी करने का आरोप लगाया है। इस बीच थाईलैंड ने अपने नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए कंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और अस्थिरता
थाईलैंड में अस्थिर गठबंधन सरकार काम कर रही है, और वहां की प्रधानमंत्री को हाल ही में संवैधानिक अदालत ने निलंबित कर दिया है। दूसरी ओर कंबोडिया में भी सत्ता नए नेतृत्व के हाथ में है, लेकिन उनके पास राजनीतिक स्थिरता और जन समर्थन की कमी है। कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन अब भी पर्दे के पीछे से प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं और माना जा रहा है कि वह राष्ट्रवादी भावना को भुनाने के लिए संघर्ष को और हवा दे सकते हैं।
आसियान की भूमिका और समाधान की उम्मीद
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान (ASEAN) का मकसद क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना है। यह संगठन जल्द ही इस मुद्दे में दखल देकर तनाव कम कराने की कोशिश कर सकता है। वहीं चीन ने भी इस मामले में मध्यस्थता की पेशकश की है और दोनों देशों से बातचीत के जरिये हल निकालने की अपील की है।
झारखंड के लिए क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
भले ही यह मामला थाईलैंड और कंबोडिया के बीच का है, लेकिन इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिख सकता है। झारखंड जैसे राज्य, जहां बड़ी संख्या में लोग थाईलैंड और कंबोडिया में काम करते हैं, वहां के परिवारों के लिए यह चिंता का विषय है।