पटना : बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र इस समय जारी है, और विपक्ष लगातार सरकार को घेरने के प्रयास में है। मंगलवार, 26 नवंबर को बिहार विधानसभा में भाकपा माले (CPIML) के विधायकों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इनमें वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और अडानी की गिरफ्तारी की मांग प्रमुख रहे।
विरोध प्रदर्शन में अडानी की गिरफ्तारी की मांग
भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने प्रदर्शन के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। आलम ने कहा कि इससे पूरे विश्व में भारत की छवि धूमिल हो रही है और यह स्थिति अस्वीकार्य है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि अडानी को शीघ्र गिरफ्तार किया जाए और इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जाए।
आलम ने कहा, “हम बिहार विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि यह मुद्दा सरकार के ध्यान में लाया जा सके। अडानी को गिरफ्तार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।”
बिहार विधानसभा में बढ़े हुए आरक्षण पर भी सवाल
महबूब आलम ने बिहार सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में जातीय गणना के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया था, लेकिन अब उस पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा हो और बिहार में बढ़े हुए आरक्षण का दायरा लागू किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को आज तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला है, जो कि राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर सरकार का रुख अस्पष्ट
विरोध प्रदर्शन का एक और प्रमुख कारण था वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024। इस बिल को पहले लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन इसके बाद विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण इसे ज्यादा चर्चा के लिए जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) के पास भेज दिया गया था। इस बिल पर नीतीश कुमार सरकार का रुख स्पष्ट नहीं हो पाया है, और भाकपा माले ने इस पर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
महबूब आलम ने कहा, “नीतीश कुमार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है। यह बिल बिहार के मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।” उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार को शिक्षा को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने के प्रयासों में भी सफलता नहीं मिली, और यह राज्य की जनता के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव
इन मुद्दों को लेकर भाकपा माले ने विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव भी पेश किया। महबूब आलम ने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से सरकार से आग्रह किया जा रहा है कि वह इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में चर्चा करें और इन पर तुरंत कार्रवाई की जाए। सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने कहा कि बिहार में विकास को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठने चाहिए।
आखिरकार, भाकपा माले का यह प्रदर्शन नीतीश कुमार और उनकी सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार इन सभी मुद्दों पर क्या कदम उठाती है और क्या विपक्ष की मांगों को लेकर सरकार अपना रुख स्पष्ट करती है।
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