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क्या टमाटर के बाद अब प्याज भी रूलाएगा? सितंबर में 60-70 रुपये किलो तक पहुंच सकती है कीमत, जानें क्या है वजह

by Rakesh Pandey
टमाटर के बाद अब प्याज भी रूलाएगा 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है। अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, प्याज के भंडारण और उपयोग की अवधि एक-दो महीने कम होने
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बिजनेस डेस्क:मुंबई। onion price hike: टमाटर  के बाद अब प्याज भी लोगों की परेशानी का सबब बनने वाला है। हाल ही में जारी रिपोर्ट पर गौर करें तो अगले माह से कम आवक के कारण प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं। कम आपूर्ति के कारण प्याज की कीमत इस माह के अंत में खुदरा बाजार में बढ़ने की आशंका है और अगले महीने यह लगभग 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है। हालांकि, अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।

क्या कहता है मार्केट रिपोर्ट

शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कीमतों के बारे में अनुमान लगाया गया। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, मांग-आपूर्ति में असंतुलन का असर अगस्त के अंत में प्याज की कीमतों पर दिखने की आशंका है। जमीनी स्तर पर बातचीत से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार खुदरा बाजार में सितंबर की शुरुआत से कीमतों में अच्छी-खासी वृद्धि होने की आशंका है और यह 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। हालांकि, कीमत 2020 के उच्चतम स्तर से नीचे रहेगी।

इस वजह से बढ़ेंगी कीमतें

रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी प्याज के भंडारण और उपयोग की अवधि एक-दो महीने कम होने और इस साल फरवरी-मार्च में मंदी के कारण बिकवाली से, खुले बाजार में रबी स्टॉक में सितंबर के बजाय अगस्त के अंत तक काफी गिरावट आने की आशंका है। इससे प्याज की खपत में बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।

इस साल रकबा आठ प्रतिशत घटेगा

रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारी महीनों (अक्टूबर-दिसंबर) में कीमतों में उतार-चढ़ाव दूर होने की उम्मीद है। इस साल जनवरी-मई के दौरान प्याज की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली। हालांकि, इससे प्याज किसान खरीफ मौसम में बुवाई के लिये हतोत्साहित हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसको देखते हुए, हमारा मानना है कि इस साल रकबा आठ प्रतिशत घटेगा और प्याज का खरीफ उत्पादन सालाना आधार पर पांच प्रतिशत कम होगा। वार्षिक उत्पादन 2.9 करोड़ टन होने की उम्मीद है। यह पिछले पांच साल (2018-22) के औसत उत्पादन से सात प्रतिशत अधिक है। इसलिए, कम खरीफ और रबी उत्पादन के बावजूद इस वर्ष आपूर्ति में बड़ी कमी की संभावना नहीं है। हालांकि, अगस्त और सितंबर में बारिश प्याज की फसल और उसके विकास को निर्धारित करेगी।

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