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Ghatshila News : पूर्वी सिंहभूम जिले में CPI के संस्थापक सह पूर्व विधायक बास्ता सोरेन का निधन

वर्ष 1962 से 1967 तक घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे बास्ता सोरेन ने जल, जंगल व जमीन के लिए लड़ी थी लड़ाई। श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े आम व खास लोग।

by Rajesh Choubey
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घाटशिला: पूर्वी सिंहभूम जिले में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के संस्थापक सह पूर्व विधायक बास्ता सोरेन (92) का मंगलवार की रात लगभग 1बजे जमशेदपुर में इलाज के दौरान निधन हो गया। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर घाटशिला लाया गया। सर्वप्रथम आईसीसी वर्कर्स यूनियन कार्यालय में यूनियन के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने माला पहनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आईसीसी वर्कर्स यूनियन कार्यालय से उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव घाटशिला प्रखंड के झापडीशोल गांव लाया गया।

गांव में उनके अंतिम दर्शन के लिए आम से खास लोग शामिल हुए। बास्ता सोरेन के पुत्र डा. देवदूत सोरेन ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से उनके पिता कैंसर से पीड़ित थे। अपने पीछे दो पुत्र, तीन पुत्री एवं नाती, पोता-पोती का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार संथाल रीति-रिवाज के साथ गांव में ही किया जाएगा। इस मौके पर मुख्य रूप से भाजपा नेत्री सह पुत्रवधू डा. सुनिता देवदुत सोरेन, पुत्री महुआ सोरेन मौसमी सोरेन डॉ. माधुरी सोरेन, दुलाल चंद्र हांसदा, गणेश मुर्मू, मंगल मुर्मू सिदो राम मुर्मू, पीतांबर सोरेन सुरेंद्रनाथ सोरेन चंदाई हेंब्रम शाहिद काफी संख्या में लोग शामिल थे।

प्रतिबंध के बावजूद जल, जंगल व जमीन के लिए वामपंथी संगठन का किया था गठन

तत्कालीन बिहार सरकार में वामपंथी संगठन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया था। इसके बावजूद जंगल में रहकर बास्ता सोरेन ने जल, जंगल, जमीन की रक्षा को लेकर संगठन का विस्तार किया था। सीपीआई नेता कामरेड दुलाल चंद्र हांसदा बताते हैं कि वामपंथी संगठन के गठन को लेकर घाटशिला के जगदीश चंद्र उच्च विद्यालय के शिक्षक कोलकाता निवासी अमूल्य चंद्र से प्रेरणा बास्ता सोरेन प्रेरित हुए थे। बास्ता सोरेन सीपीआई से वर्ष 1962 में चुनाव लड़े थे।

इस चुनाव में झारखंड पार्टी के विधायक श्याम चरण मुर्मू को पराजित कर विधायक बने। वर्ष 1967 तक विधायक का कार्यकाल पूरा किया। इसके अलावा 1997 से लेकर वर्ष 2010 तक काकड़ीशोल के मुखिया बने रहे। पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बीडी शर्मा के साथ मिलकर माझी परगना महाल की स्थापना में भी महती भूमिका निभाई थी।

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