खूंटी (झारखंड) : सावन के पहले सोमवार की पावन बेला में खूंटी स्थित बाबा आमरेश्वर धाम (Khunti Amareshwar Dham 🙂 शिवभक्ति के रंग में रंग गया। अहले सुबह जैसे ही मंदिर के पट खुले, बाबा भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए भक्तों की लंबी कतार उमड़ पड़ी। अंगराबारी गांव स्थित यह प्राचीन शिवधाम ‘मिनी देवघर’ के नाम से विख्यात है, जहां सावन में भक्ति का अद्वितीय उत्सव देखने को मिलता है।
Khunti Amareshwar Dham : रविवार शाम हुआ विशेष श्रृंगार पूजन, मंदिर परिसर दुल्हन की तरह सजा
श्रावण मास के पहले सोमवार को लेकर रविवार शाम को मंदिर कमेटी की ओर से भगवान शिव का भव्य श्रृंगार पूजन किया गया। कमेटी पदाधिकारी, सदस्य और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूरे परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया। मंदिर के साथ-साथ बनई नदी तट पर भी विशेष लाइटिंग की गई।
सुबह 3:30 बजे सरकारी पूजा, फिर खुले पट
कमेटी के अध्यक्ष लाल ज्ञानेन्द्रनाथ शाहदेव और महामंत्री मनोज कुमार ने जानकारी दी कि सोमवार सुबह 3:30 बजे सरकारी पूजा के बाद मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इसके साथ ही रात से ही कतार में लगे श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया और बाबा भोलेनाथ पर जल चढ़ाने की शुरुआत हुई।
Khunti Amareshwar Dham : रांची, ओडिशा, सिमडेगा से भी पहुंचे कांवरिए, मंदिर में दिखा जनसैलाब
आमरेश्वर धाम में सावन सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व है। सोमवार को अहले सुबह से ही ओडिशा, सिमडेगा, रांची और अन्य जिलों से हजारों भक्त पहुंचे और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों के साथ जलार्पण किया। पूरा परिसर शिवमय हो उठा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, मेडिकल टीम और सहायता शिविर तैनात
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर में 24 घंटे सहायता शिविर, मेडिकल टीम, पेयजल, साफ-सफाई और रोशनी की विशेष व्यवस्था की गई है। खूंटी और तोरपा के डीएसपी समेत थाना प्रभारियों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है, इसके साथ ही विशेष पेट्रोलिंग टीम का गठन कर रविवार शाम से सक्रिय कर दिया गया।
Khunti Amareshwar Dham : जानिए क्यों खास है बाबा आमरेश्वर धाम
अंगराबारी गांव में 12 एकड़ में फैले इस धाम को झारखंड का ‘मिनी देवघर’ कहा जाता है। यहां शिवलिंग सहित गणेश, पार्वती, दुर्गा, राधाकृष्ण, राम, काली, हनुमान और शनि मंदिर स्थित हैं। स्थानीय कमेटी की देखरेख में मंदिर का लगातार विकास हो रहा है। सावन में यहां मेले जैसा माहौल रहता है, जो पूरे झारखंड और पड़ोसी राज्यों के शिवभक्तों को आकर्षित करता है।