गिरिडीह (झारखंड): केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना गिरिडीह जिले में अधर में लटक गई है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिलकुल उलट है। कई पंचायतों में टंकी, पाइप और नल तो लग चुके हैं, लेकिन पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंच पाई है।
घरों तक पाइप लाइन, लेकिन जल आपूर्ति नहीं
जिले के गांडेय, बेंगाबाद, पीरटांड, गिरिडीह, सरिया, बगोदर, बिरनी, धनवार, गावां, तिसरी, जमुआ, देवरी और डुमरी जैसे सभी 13 प्रखंडों में यही कहानी दोहराई जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक (ठेकेदार) ने सिर्फ टंकी लगाने, पाइप बिछाने और आधार कार्ड की फोटो लेकर काम पूरा मान लिया, लेकिन जल आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं की। स्थानीय निवासी बताते हैं कि चाहे वह उदनाबाद, चुंजका या मटरुखा गांव हो, हर जगह ‘पाइप है लेकिन पानी नहीं’ वाली स्थिति बनी हुई है।
अधूरा पड़ा 32 करोड़ का जलापूर्ति प्रोजेक्ट
औद्योगिक क्षेत्र गादी श्रीरामपुर में ₹32 करोड़ की लागत से जलापूर्ति परियोजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य था कि क्षेत्र में पानी की समस्या को स्थायी समाधान मिले। लेकिन यह प्रोजेक्ट भी लापरवाही और तकनीकी अनदेखी का शिकार हो गया। गिरिडीह सदर के उप प्रमुख कुमार सौरव ने योजना में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है, वहीं बीजेपी नेता रंजीत राय ने विभाग और संवेदक दोनों पर सवाल उठाए हैं।
संवेदक को किया गया ब्लैकलिस्ट, रुका काम
इस योजना पर काम कर रहे संवेदक को अगस्त 2024 में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। उसके बाद उसने अपने कर्मचारियों को हटा लिया, जिससे कई पंचायतों में कार्य पूरी तरह बंद हो गया। अब विभाग ने नई प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कार्यपालक अभियंता भिखारी राम भगत ने बताया कि जांच हो चुकी है, रिपोर्ट जल्द सौंपी जाएगी। पूरी कोशिश है कि योजना जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं सिर्फ कागजों पर पूरी नहीं होनी चाहिए। यदि पाइपलाइन बिछाने के बाद जल आपूर्ति नहीं होती, तो पूरी योजना सिर्फ फोटो सेशन तक ही सीमित रह जाती है। गिरिडीह जिले में जल जीवन मिशन की वास्तविकता और सरकारी दावों में जमीन-आसमान का फर्क है। 70% कार्य पूरा होने के सरकारी आंकड़े तब तक निरर्थक हैं, जब तक ग्रामीणों के घरों में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती।
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