RANCHI (JHARKHAND): कहते है कि जिनका कोई नहीं होता उनका भगवान होता है। ऐसे ही लावारिस लोगों के सिर पर भगवान का हाथ है। यहीं वजह है कि राजधानी में एक मंदिर फिलहाल लावारिसों का ठिकाना बना हुआ है। जो कभी सड़कों पर बेसहारा भटकते थे, जिनके सिर पर छत नहीं थी, जिन्हें अपना नाम तक याद नहीं था। आज उनके पास न सिर्फ रहने के लिए जगह है, बल्कि उनका भरण पोषण भी अच्छे से हो रहा है। रांची के पुंदाग में बना एक मंदिर (सदगुरू कृपा, अपना घर) परिसर इन लावारिसों के लिए ‘आशियाना’ बन गया है, जहां अपना घर की टीम उन्हें नया जीवन देने में जुटी है।
एक साल से कर रही रेस्क्यू
अपना घर की टीम ने बीते एक साल में 42 लावारिस लोगों को रेस्क्यू कर यहां आश्रय दिलाया है। इनमें से 7 लोगों की याददाश्त लौट आई और टीम ने उन्हें उनके परिवार तक सुरक्षित पहुंचा दिया। परिवार वाले भी अपने बच्चे साथ में पाकर खुश हैं। फिलहाल यहां 35 लोगों की देखभाल की जा रही है, जो मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर हैं। या फिर जिन्हें सड़क पर लावारिस छोड़ दिया गया था। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से किसी को अपना नाम तक याद नहीं। ये तो किसी तरह कचरा चुनकर अपना गुजारा करते थे। नशे की लत ऐसी थी कि कुछ भी याद नहीं।

80 बेड का है आश्रय गृह
इन लावारिस लोगों के लिए मंदिर के ऊपरी भाग में 80 बेड का शेल्टर तैयार किया गया है। यहां हर व्यक्ति को उसकी पहचान देने के लिए टीम ने एक नाम दिया है, ताकि वे खुद को खोया हुआ महसूस न करें। इनकी देखभाल के लिए 18 लोगों की टीम तैनात है, जो सुबह से लेकर रात तक इनकी सेवा में जुटी रहती है। एक डॉक्टर नियमित रूप से सभी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉ एच पी नारायण न केवल इनका इलाज कर रहे हैं बल्कि उन्हें दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। वे महीने में दो बार मरीजों को देखने आते हैं। इसके बदले में वह कोई चार्ज नहीं लेते।

सुबह में योगा, शाम को वाक
सुबह मंदिर परिसर में सभी को योगा कराया जाता है, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर हो सके। शाम को सभी लोग कैंपस में ही वॉक पर जाते हैं। दिनभर इन लोगों का समय काटने के लिए यहां टीवी, लूडो और कैरम की व्यवस्था भी की गई है। ये सभी इन खेलों में हिस्सा लेकर न सिर्फ अपने मनोरंजन का साधन बना रहे हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी सक्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा दिन के खाने के बाद इनका नाच गाना भी होता है।

सूचना मिलते किया जाता है रेस्क्यू
टीम के राजू अग्रवाल का मानना है कि सड़कों पर पड़े किसी लावारिस व्यक्ति को देखकर आगे बढ़ जाना आसान है, लेकिन उसे सहारा देना और उसका जीवन बदलना सबसे बड़ा सेवा का कार्य है। यहां पर कई बुजुर्ग और मानसिक रूप से बीमार लोग हैं, जिनकी कहानियां बेहद मार्मिक हैं। वे जिस स्थिति में मिले वैसे में शायद ही कोई उन्हें लेकर आता। हमारी टीम उन्हें लाने के बाद साफ सफाई करती है। बाल दाढ़ी बनाकर उन्हें साफ कपड़े दिए जाते हैं। इसके बाद उनका यहां का सफर शुरू होता है। इसमें पुलिस प्रशासन का भी सहयोग मिलता है। समय समय पर पुलिस की टीम सभी को देखने भी आती है। आज मंदिर के दान से ही इन लावारिसों की सेवा हो रही है। जरूरत पड़ने पर गुरुजी संत शिरोमणि परमहंस डॉ सदानंद जी महाराज मदद करते हैं।

लोगों से की सूचना देने की अपील
टीम के एक सदस्य ने बताया कि कई लोग पहले बात भी नहीं करते थे, लेकिन धीरे-धीरे अब बोलने लगे हैं, हंसने लगे हैं। जब कोई अपने घर लौटता है, तो लगता है हमारी मेहनत सफल हुई। प्रशासन और स्थानीय लोगों से अपील करते हैं कि यदि कहीं कोई लावारिस व्यक्ति दिखे, तो इसकी सूचना दें ताकि उसे सुरक्षित जीवन दिया जा सके। चूंकि कई बार ऐसे लावारिसों की लाश ही बरामद होती है। हमारे एक प्रयास से किसी को जीवन मिल जाएगा। और सबकुछ ठीक रहा तो कोई अपने परिवार के पास जिंदा लौट जाएगा। जिसके बारे में शायद घरवालों ने ये मान लिया कि वह इस दुनिया में ही नहीं है।
READ ALSO: RANCHI NEWS : रांची में RPF की छापेमारी, एक व्यक्ति के पास मिले इतने अवैध रेलवे ई-टिकट