New Delhi : झारखंड की एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज किए जाने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश सुनाया। इससे न्यायपालिका के भीतर प्रशासनिक पारदर्शिता और न्यायिक अधिकारियों की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
बच्चे की देखरेख के लिए मांगी थी छुट्टी
महिला जज, जो एक सिंगल पेरेंट हैं, ने अपने छोटे बच्चे की देखभाल के लिए कुल 194 दिनों की छुट्टी की मांग की थी। लेकिन झारखंड हाई कोर्ट ने केवल 92 दिन की छुट्टी मंजूर की। इस आंशिक स्वीकृति के खिलाफ महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर 29 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद ACR में दी गई प्रतिकूल टिप्पणीआज हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद ही महिला जज की ACR में प्रतिकूल टिप्पणी की गई।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से आती हैं और अब तक 4660 मामलों का निपटारा कर चुकी हैं। वे अपने कार्य क्षेत्र की सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली जजों में शामिल हैं, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट जाने पर उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की गई, जो न्यायिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। अदालत अब इस बात की जांच करेगी कि क्या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने को लेकर महिला जज के खिलाफ अनुचित कदम उठाया गया।