सेंट्रल डेस्क : 30 जून, 2023 को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपना इस्तीफा देने के लिए अपने निवास से राजभवन जाने के लिए निकले। उनके सहयोगियों के अनुसार, वह यह महसूस कर रहे थे कि ‘उन्होंने अपने लोगों का विश्वास खो दिया है’, क्योंकि मैतेई समुदाय के 2 युवकों की मौत के विरोध में सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए थे।
जब इस्तीफे की खबर फैली, तो लोगों ने उनके काफिले के चारों ओर जमावड़ा लगा दिया, जिसके बाद बीरेन सिंह को वापस लौटना पड़ा। उनके निवास के बाहर महिलाओं के एक समूह ने उनके इस्तीफे का मसौदा फाड़ दिया और इस घटना ने उन्हें मैतेई समुदाय में मजबूती से स्थापित कर दिया। इससे उनके आलोचक को भी कमजोर पड़ गए।
लेकिन 9 फरवरी को उन्होंने बीजेपी के नॉर्थ ईस्ट कोऑर्डिनेटर संबित पात्रा और कुछ विधायकों के साथ राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्हें फिलहाल अंतरिम मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने को कहा गया है।
इस बार इस्तीफे का कारण क्या था
कांग्रेस ने 10 फरवरी को बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। खुफिया जानकारी के अनुसार, लगभग 20 बीजेपी विधायक अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए तैयार थे। बीरेन सिंह के आलोचकों, जिनमें पंचायती राज मंत्री खेमचंद सिंह और विधानसभा अध्यक्ष ठोकचम सत्यब्रत सिंह शामिल थे, ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जिससे मुख्यमंत्री के पद पर बदलाव का दबाव बढ़ गया था।
दिल्ली यात्रा और केंद्रीय नेतृत्व का दबाव
इस्तीफे से बचने के लिए एन बीरेन सिंह ने दिल्ली में बीजेपी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने एक सप्ताह पहले प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए यात्रा की थी, लेकिन कुछ ही दिनों में घटनाएं बदल गईं और मुख्यमंत्री को दिल्ली में अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने के बाद इस्तीफा देना पड़ा।
राजभवन की भूमिका
बीरेन सिंह के लिए संकट तब और गहरा हुआ, जब 24 दिसंबर 2024 को अजय भल्ला को मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। भल्ला, जो पहले केंद्रीय गृह सचिव थे, मणिपुर की स्थिति से भली-भांति परिचित थे और उनके प्रशासनिक अनुभव ने राज्य में नई उम्मीदें जगाईं। उनके द्वारा की गई प्रशासनिक नियुक्तियों और बदलावों को ‘राज भवन द्वारा नियंत्रण’ के रूप में देखा गया।
भल्ला ने प्रशासनिक बदलावों की शुरुआत की थी, खासकर हिल जिलों में और इस कदम को राज्य में शांति की दिशा में एक प्रयास के रूप में देखा गया। इसके बाद यह साफ हो गया कि बीरेन सिंह ने पहाड़ी समुदायों, विशेष रूप से कूकी-जो-हमार समुदाय से अपने संबंधों को पूरी तरह से तोड़ लिया था, जो उनके लिए एक और बड़ा संकट साबित हुआ।
आगे क्या होने के आसार है
हालांकि, केंद्र सरकार ने बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद किसी भी विद्रोही नेता को तत्काल मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त नहीं करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में, मणिपुर में सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है, क्योंकि पहले भी बीरेन सिंह के इस्तीफे के समय विरोध और कानून-व्यवस्था की समस्याएं उत्पन्न हो चुकी हैं।
राज्यपाल भल्ला ने 9 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव और प्रस्तावित विधानसभा सत्र को रद्द कर दिया है। यह संकेत है कि मणिपुर के भविष्य और मुख्यमंत्री के पद पर निर्णय बजट सत्र के बाद लिया जाएगा। दूसरी ओऱ, बीरेन सिंह के लिए अब राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है। चाहे वह उनके द्वारा किए गए प्रशासनिक फैसले हों या फिर मणिपुर के विभिन्न समुदायों से संबंध, उनका इस्तीफा अब एक अंत की ओर इशारा करता है, और मणिपुर में एक नया नेतृत्व उभरने का संकेत मिल रहा है।