नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ के जरिये वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाकर करोड़ों की ठगी कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है और एक 92 वर्षीय सेवानिवृत्त सर्जन से ठगे गए 2.2 करोड़ रुपये सफलतापूर्वक बरामद कर पीड़ित को लौटा दिए हैं।
धमकी और जालसाजी का था सुनियोजित प्लान
पुलिस के अनुसार, यह साइबर गिरोह बुजुर्गों को विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे ट्राई, महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई के नाम पर धमकी भरे कॉल करता था। 12 मार्च को पीड़ित को ऐसे ही कॉल आए जिसमें उनसे कहा गया कि उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है।
इसके बाद आरोपियों ने वीडियो कॉल के जरिए एक फर्जी डिजिटल अरेस्ट दिखाया और अदालत का जाली आदेश भी प्रस्तुत किया। डरा-धमकाकर पीड़ित से तीन अलग-अलग बैंक खातों में कुल 2.2 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
तकनीकी जांच से मिली कामयाबी
इस गंभीर साइबर अपराध की जांच के लिए एसीपी विवेकानंद झा की निगरानी में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम में एसआई मंजीत, एचसी पवन और एचसी करमपाल शामिल थे। तकनीकी विश्लेषण और डिजिटल ट्रेसिंग के माध्यम से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया:
- अमित शर्मा उर्फ राहुल (42 वर्ष), निवासी गाजियाबाद
- हरि स्वर्गीयरी (27 वर्ष), निवासी उदलगुरी, असम
संगठित नेटवर्क और फर्जी बैंक खाते
जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह देशभर में फर्जी बैंक खाते खोलता था और ठगी की रकम को विभिन्न चैनलों के माध्यम से देश-विदेश में भेजता था। पुलिस ने आरोपियों के पास से:
- 2.2 करोड़ रुपये नकद
- तीन मोबाइल फोन
- कई सिम कार्ड
- डिजिटल दस्तावेज
जब्त किए हैं।
टारगेट पर थे बुजुर्ग
इस साइबर गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद संगठित और सुनियोजित थी। वे खुद को पुलिस, कस्टम या सीबीआई अधिकारी बताकर बुजुर्गों को टारगेट करते थे। कॉल में पहले उन्हें धमकाया जाता, फिर “सत्यापन प्रक्रिया” के नाम पर सहानुभूति दिखाकर धीरे-धीरे विश्वास जीतते और अंततः बैंक ट्रांसफर के लिए मजबूर कर देते थे।
जनता से अपील
डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी ने जनता, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध कॉल या वीडियो कॉल पर विश्वास न करें। किसी भी प्रकार की साइबर ठगी की स्थिति में तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या नजदीकी साइबर क्राइम थाना में शिकायत दर्ज कराएं।
पुलिस ने यह भी बताया कि यह गिरोह केवल दिल्ली ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी सक्रिय था। मामले की जांच अभी जारी है और अन्य फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।