जामताड़ा: असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को झारखंड के जामताड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राज्य में होने वाले आगामी चुनावों को केवल राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि राज्य की संस्कृति, अस्मिता, और परंपरा की रक्षा की लड़ाई करार दिया। सरमा ने आरोप लगाया कि राज्य के कुछ जिलों में स्कूलों को एक खास समुदाय के दबाव में बंद कर दिया जाता है, जबकि अगर वह भी चाहें तो मंगलवार को स्कूलों को बंद करने का अधिकार रखते हैं।
झारखंड की संस्कृति और अस्मिता पर हमला: हिमंता का बयान
हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने भाषण में कहा, “यह चुनाव सिर्फ सत्ता के लिए नहीं, बल्कि झारखंड की संस्कृति, अस्मिता और परंपरा को बचाने की लड़ाई है।” उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग चुनावी लाभ के लिए समाज में असंतुलन पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, उनका विरोध करना जरूरी है।
झामुमो और कांग्रेस पर तीखा हमला
सरमा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस पर तगड़ा हमला बोलते हुए कहा कि ये दल सामाजिक बंटवारे के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने इरफान अंसारी और आलमगीर आलम जैसे नेताओं का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि ये नेता समाज को बांटकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। सरमा ने आगे कहा, “अगर समाज एकजुट हो जाए, तो इन नेताओं की राजनीति खत्म हो जाएगी।”
हिमंता बिस्वा सरमा ने लालच और धर्म के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वालों को चेतावनी दी और कहा कि इससे समाज कमजोर हो रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस तरह की राजनीति से बचें और केवल समाज को एकजुट रखने के लिए वोट दें।
धार्मिक असंतुलन और सामाजिक एकता की अपील
मुख्यमंत्री सरमा ने झारखंड में धार्मिक असंतुलन को लेकर सवाल उठाए और इसे समाज के हितों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं को नकारा जाए जो समाज को तोड़ने की कोशिश करते हैं। सरमा ने जनसभा में अपील की, “हमारा उद्देश्य सिर्फ सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सौहार्द को बचाए रखना है।”
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