रांची : नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मनरेगा मजदूरों ने केंद्र सरकार के दावों को खारिज करते हुए, योजना में व्याप्त समस्याओं पर प्रकाश डाला। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मजदूरों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए बजटीय कटौती, तकनीकी गड़बड़ियों, और वेतन में देरी के मुद्दों को सामने रखा।
ग्रामीण विकास मंत्री और राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मनरेगा बजट में सालाना ₹20,000 करोड़ की वृद्धि की है। हालांकि, मजदूरों और विशेषज्ञों का कहना है कि ये दावे वास्तविकता से परे हैं।
बजटीय कटौती और भुगतान में देरी
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने बताया कि फंड ट्रांसफर ऑर्डर समय पर जारी किए जाते हैं, लेकिन मजदूरों के खातों में भुगतान महीनों तक लंबित रहता है। झारखंड नरेगा वॉच की अफसाना खातून ने कहा कि अपर्याप्त बजट आवंटन के कारण मजदूरी भुगतान में गंभीर समस्याएं आ रही हैं।
तकनीकी हस्तक्षेप पर सवाल
मजदूरों ने एनएमएमएस (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) और एबीपीएस (आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम) जैसे तकनीकी हस्तक्षेपों की आलोचना की। बिहार के जितेंद्र पासवान ने बताया कि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण मजदूरों को वेतन प्राप्ति में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल के अंबरीश सोरेन ने केंद्र सरकार पर मनरेगा फंड रोकने का आरोप लगाया, जिससे पिछले तीन वर्षों से काम रुका हुआ है।
मांगें और विरोध की घोषणा
मजदूरों ने निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखीं:
- मनरेगा मजदूरी को ₹800 प्रतिदिन किया जाए।
- तकनीकी हस्तक्षेपों को सरल और मजदूर हितैषी बनाया जाए।
- बजटीय आवंटन में वृद्धि की जाए।
नरेगा संघर्ष मोर्चा ने 5-6 दिसंबर 2024 को जंतर-मंतर पर दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की। इस प्रदर्शन में मजदूरों ने नागरिकों से अपील की है कि वे उनके अधिकारों के समर्थन में शामिल हों।
मजदूरों का आरोप
मजदूरों का कहना है कि कम बजट और तकनीकी बाधाएं मिलकर मनरेगा को निष्क्रिय बनाने का प्रयास कर रही हैं। उनका कहना है कि मनरेगा मजदूरों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए सशक्त आंदोलन की आवश्यकता है।
जंतर-मंतर पर जुटने की तैयारी
इस विरोध प्रदर्शन में झारखंड, बिहार, और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों से मजदूर शामिल होंगे। प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि मनरेगा योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके और मजदूरों को समय पर वेतन मिले।
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