Home » ’184 नरसंहार’, ’16 दंगे’..आज भी क्यों 29 मार्च 1978 को याद कर सिहर जाते हैं संभल के हिंदू? बंद पड़े मंदिर के पीछे छिपे हैं कई दर्दनाक राज…!

’184 नरसंहार’, ’16 दंगे’..आज भी क्यों 29 मार्च 1978 को याद कर सिहर जाते हैं संभल के हिंदू? बंद पड़े मंदिर के पीछे छिपे हैं कई दर्दनाक राज…!

पुलिस प्रशासन की टीम घनी आबादी वाले इलाके में बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रही थी। इस दौरान अधिकारियों की नजर इस मंदिर पर पड़ी। जिसे खुलवा कर देखने पर पता चला कि इसके अंदर शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई थी। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने मंदिर खुलवाकर इसकी सफाई कराई और अतिक्रमण मुक्त कराया।

by Anurag Ranjan
वर्षों से बंद पड़े एक शिव मंदिर को पुलिस प्रशासन ने खुलवाकर उसकी सफाई कराई।
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संभल : उत्तर प्रदेश के संभल के खग्गू सराय मोहल्ले में वर्षों से बंद पड़े एक शिव मंदिर को पुलिस प्रशासन ने खुलवाकर उसकी सफाई कराई। इसके साथ ही आसपास के अतिक्रमण को बुलडोजर से हटवा कर मंदिर के आंगन में बने एक कुएं को भी मुक्त कराया। इसकी जानकारी जैसे ही मीडिया के जरिए देश में फैली, लोगों के मन में यह सवाल उठना शुरू हो गया कि आखिर यह मंदिर 46 वर्षों से बंद क्यों था? ऐसी क्या परिस्थितियां रही होंगी कि मंदिर इस स्थिति में पहुंच गया। आइए, जानते हैं इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो आपकी जिज्ञासा पूरी कर सकते हैं:-

दरअसल, इस क्षेत्र में पुलिस प्रशासन की टीम घनी आबादी वाले इलाके में बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रही थी। इस दौरान अधिकारियों की नजर इस मंदिर पर पड़ी। जिसे खुलवा कर देखने पर पता चला कि इसके अंदर शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई थी। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने मंदिर खुलवाकर इसकी सफाई कराई और अतिक्रमण मुक्त कराया। अब मंदिर में दोबारा पूजा शुरू हो गई है और यह आस्था का नया केंद्र बिंदु बन गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह मंदिर साल 1978 से बंद था। पहले यहां हिंदू समाज के लोग रहा करते थे, जिनके करीब 15-20 परिवार थे। आसपास चारों ओर मुस्लिम परिवार भी शांतिपूर्वक रहा करते थे। दोनों समुदायों में सौहार्द का माहौल हुआ करता था। लेकिन, जब 1978 में बवाल हुआ तो कई लोग यहां से पलायन कर गए।

1978 में मारे गए थे 184 हिंदू

पलायन कर चुके हिंदुओं का दावा है कि संभल नगरपालिका में कभी 45 फीसदी हिंदू रहते थे, लेकिन हालात ऐसे बदले की अब सिर्फ 10 प्रतिशत बचे हैं। हिंदू पलायन का दावा कर रहे हैं, लेकिन सरकारी आकड़े क्या कह रहे हैं। संभल के डीएम और एसपी ने मीडिया को बताया कि संभल नगरपालिका में देश की आजादी के वक्त हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी। जो अब 15 से 20 प्रतिशत रह गई है। आंकड़ों की मानें तो संभल नगरपालिका में हिंदुओं की आबादी घटी है। हिंदू पक्ष इसके पीछे की वजह 29 मार्च, 1978 की उस घटना को बताते हैं, जिसने संभल में भाईचारे की डोर को नफरत में बदल दिया। आज भी संभल के हिंदू 29 मार्च, 1978 की तारीख सुनकर सिहर उठते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 1978 के दंगों में 184 हिंदुओ को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस मंदिर के गुमनाम होने और बंद पड़ने के पीछे भी इसी दंगे को बताया जा रहा है।

हालांकि, स्थानीय मुस्लिमों का कहना है कि हिंदुओं के पलायन की वजह दहशत नहीं है। वे खुद अपनी मर्जी से यहां से चले गए। वहीं हिंदुओं का दावा है कि संभल में सांप्रदायिक दंगों का इतिहास रहा है। 1947 से अब तक संभल में 16 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं, जिसमें 213 लोगों की मौत हुई। मरने वालों में 209 हिंदू और चार मुस्लिम शामिल हैं। दंगों की हिस्ट्री देखें तो 1947 में एक की मौत हुई, 1948 में छह लोगों की मृत्यु हई।

घड़ियाली आंसू बहाने वालों को संभल के हिंदू नहीं दिखते : CM योगी

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अदालत के आदेश पर संभल के शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के विरोध में हुई हिंसा और इसी तरह की अन्य घटनाओं पर यूपी विधानसभा में चर्चा की मांग की थी। इस मुद्दे पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘संभल में 1947 से लगातार दंगे हुए हैं। 1947 में एक व्यक्ति की मौत हुई और 1948 में छह लोगों की मौत हुई। 1958-1962 तक दंगे हुए और 1976 में पांच लोग मारे गए। 1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था। कई महीनों तक लगातार कर्फ्यू लगा रहा। 1980-1982 में दंगे हुए और 1986 में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। 1990-1992 में चार लोग मारे गए और 1996 में दो लोग मारे गए। दंगों का यह दौर जारी रहा। 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदू मारे गए हैं, लेकिन घड़ियाली आंसू बहाने वालों ने निर्दोष हिंदुओं के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा’।

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