सेंट्रल डेस्क : दिल्ली विधानसभा चुनाव में 26 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निर्णायक जनादेश के साथ सत्ता में वापसी की है। हालांकि, नई भाजपा सरकार के सामने कई अहम चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना उसके लिए जरूरी होगा। इनमें अपने चुनावी वादों को पूरा करना, पिछली सरकार की योजनाओं को बनाए रखना, शहर के प्रदूषण और बुनियादी ढांचे की समस्याओं को सुधारना और यमुना की सफाई शामिल हैं।
चुनावी वादों का पालन
भाजपा के घोषणापत्र में दिल्ली की महिलाओं को 2,500 रुपये मासिक सहायता देने का वादा किया गया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में सत्ता में आने पर पहली कैबिनेट बैठक में पूरा करने का आश्वासन दिया था। इस वादे को पूरा करना भाजपा के लिए एक बड़ी प्राथमिकता होगी, खासकर आम आदमी पार्टी (आप) के 2,100 रुपये मासिक सहायता के वादे से आगे बढ़ते हुए। हालांकि, आप ने भाजपा की इस प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए हैं और उसे जवाबदेह ठहराने की बात कही है।
कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखना
आप सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की थीं, जैसे 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा। भाजपा ने वादा किया है कि ये योजनाएं जारी रहेंगी, लेकिन आप ने कहा है कि भाजपा इन योजनाओं को बंद कर सकती है। भाजपा को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन योजनाओं को जारी रखा जाए और साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए, जैसा कि पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था।
स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा सुधार
भा.ज.पा. ने चुनाव के दौरान आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत का वादा किया था, जिसके तहत दिल्ली के लोगों को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज मिलेगा। इसके साथ ही भाजपा ने दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में सुधार का वादा भी किया था। पार्टी का कहना है कि मोहल्ला क्लीनिक के कामकाज में सुधार किया जाएगा, क्योंकि इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
यमुना सफाई और प्रदूषण
दिल्ली में यमुना की सफाई भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। पार्टी ने आप सरकार पर यह आरोप लगाया था कि उसने नदी की सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। भाजपा ने यह वादा किया है कि सत्ता में आते ही वह यमुना की सफाई को प्राथमिकता देगी। 5 फरवरी को चुनाव में जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने यमुना की सफाई के लिए प्रतिबद्धता जताई और प्रशासन ने सफाई अभियान शुरू भी कर दिया है।
बुनियादी ढांचा और प्रदूषण
दिल्ली की सड़कों और सीवेज व्यवस्था की हालत भी खराब है, और इस पर सुधार लाना भाजपा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। प्रदूषण एक और अहम मुद्दा है, क्योंकि दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। भाजपा को दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को अपडेट करने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
स्थिर नेतृत्व की आवश्यकता
दिल्ली में भाजपा के लिए एक और बड़ी चुनौती स्थिर नेतृत्व बनाए रखना होगा। 1993 से 1998 तक भाजपा के तीन अलग-अलग मुख्यमंत्री रहे थे, और अब आप ने भाजपा पर अंदरूनी संघर्षों का आरोप लगाया है। आप के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा है कि भाजपा के अंदर मतभेद हैं, और यह देखा जाएगा कि पार्टी पांच साल में कितने मुख्यमंत्री बदलती है।
भाजपा की दिल्ली में वापसी, जहां उसने 48 सीटों के साथ निर्णायक जीत हासिल की, एक बड़ा राजनीतिक परिवर्तन है। हालांकि, पार्टी के सामने कई अहम चुनौतियां हैं, जिन्हें उसे सफलतापूर्वक हल करना होगा, ताकि वह अपने वादों को पूरा कर सके और दिल्ली में सुधार ला सके।