चतरा : झारखंड के चतरा जिले के सिमरिया और पत्थलगड़ा प्रखंड के सीमांत गांवों तपसा और सिलहटी में दो जंगली हाथियों ने रविवार को भारी तबाही मचाई। दोनों हाथियों ने कई खेतों में लगी फसलें रौंद डाली, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हाथियों को भगाने के लिए सैकड़ों ग्रामीण जंगल में जुटे हुए हैं।
फसलें बर्बाद, मवेशी को मार डाला
हाथियों का उत्पात शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक जारी रहा। सबसे पहले हाथियों का दल तपसा गांव पहुंचा, जहां उन्होंने शंकर दांगी, कृष्णा पांडेय, रितिक, अभय, शिवम सहित कई किसानों के खेतों में लगी प्याज, गेहूं और अन्य फसलें बर्बाद कर दीं। इसके बाद हाथी सिलहटी गांव में पहुंचे और अरुण दांगी के आलू के खेत, अजय डांगी के कतारी और केला के पौधे, नारायण दांगी के गेहूं के खेत, बासुदेव दांगी के गेहूं के खेत, बैजनाथ दांगी के प्याज के खेत, अरुण दांगी के ड्रिप इरीगेशन सिस्टम और केदार दांगी के बोरिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
सबसे दर्दनाक घटना सिलहटी गांव में घटी, जहां हाथियों ने बैजनाथ दांगी के मवेशी को पटक कर मार डाला और एक गाय को गंभीर रूप से घायल कर दिया। मवेशी मचान के नीचे बंधे थे, फिर भी हाथियों की शक्ति के सामने बचना संभव नहीं था।
हाथियों को भगाने में जुटे ग्रामीण

रविवार की सुबह ग्रामीणों ने मशाल जलाकर और ढोल बजाकर दोनों हाथियों को गांव से जंगल की ओर भगाने का प्रयास किया। दिन के उजाले में भी हाथियों को खदेड़ने के लिए पटाखे जलाए गए, लेकिन हाथी घने जंगल में ही डेरा जमाए हुए हैं। ग्रामीण हाथियों के उत्पात के बावजूद जंगल के पास बने हुए हैं। वे हाथियों को गांव से दूर भगाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
चतरा का पूर्वी इलाका है हाथियों का कॉरिडोर
चतरा जिले के पूर्वी इलाका में हाथियों का कॉरिडोर है। सिमरिया, पत्थलगड़ा, टंडवा, केरेडारी, कटकमसांडी और अन्य सीमांत गांवों में हाथियों का आवागमन लंबे समय से होता रहा है। आबादी के विस्तार और जंगल में अतिक्रमण के कारण हाथियों के उग्र होने के मामले बढ़े हैं। इससे पहले हाथियों ने कई लोगों को घायल किया और शिकार भी बनाया है।
गर्मी से बेहाल हैं हाथी, पानी के लिए संघर्ष
गर्मी के कारण हाथी बेहाल हैं। आसपास पानी का स्रोत नहीं होने के कारण हाथी शरीर पर मिट्टी उड़ाकर ठंडक पाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीणों के हुजूम को देखकर हाथी और उग्र हो रहे हैं और उन्हें खदेड़ने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों के उत्पात के बावजूद, वे गांव को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास जारी रखेंगे।