नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका समेत 11 निजी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह पहली बार है जब दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ इतनी सख्ती दिखाई है।
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इन स्कूलों पर बिना पूर्व अनुमति के अनधिकृत रूप से फीस वृद्धि करने का आरोप है। शिक्षा विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि बिना विभाग की स्वीकृति के किसी भी तरह की फीस बढ़ोतरी को मान्यता नहीं दी जाएगी, और यदि कोई स्कूल इस आदेश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
10 और स्कूलों की जांच जारी
शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए ऑडिट की प्रारंभिक रिपोर्टों में 10 अन्य निजी स्कूलों में भी गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। सरकार इन स्कूलों के खिलाफ भी जल्द ही कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक था।
शिक्षा मंत्री आशीष सूद का सख्त रुख
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा है कि छात्रों और अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग ने पहले ही करीब 600 निजी स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट मंगवाई हैं, जिनकी समीक्षा तेजी से की जा रही है।
सरकार का संदेश साफ
आशीष सूद ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन स्कूलों ने शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है, उनके खिलाफ निश्चित रूप से कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कदम सिर्फ शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए नहीं, बल्कि छात्रों और उनके परिवारों को आर्थिक रूप से राहत देने के उद्देश्य से भी उठाया गया है।
दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग की स्वीकृति के बिना किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
दिल्ली सरकार की इस पहल को अभिभावकों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। सरकार की इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगेगा और शिक्षा व्यवस्था अधिक जिम्मेदार तथा पारदर्शी बनेगी।