Ghatshila : घाटशिला अनुमंडल समेत जिले में 108 एंबुलेंस कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने पूरे स्वास्थ्य सिस्टम को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है। झारखंड प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी संघ की चार सूत्री मांगों के समर्थन में सोमवार से शुरू हुई हड़ताल के कारण अस्पतालों तक पहुंचना मरीजों के लिए पहाड़ जैसी चुनौती बन गई है।
बारिश के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया, मलेरिया और सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में एंबुलेंस की सेवा ठप हो जाने से ग्रामीणों को निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां मनमाना किराया वसूला जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, काड़ाडुबा गांव से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अनुमंडल अस्पताल लाने के लिए एक टेंपो चालक ने बतासी मन्ना नामक महिला मरीज से 400 रुपए वसूल लिए। इसी तरह गंधनिया गांव के खोकन पाल से भी 10 किलोमीटर की दूरी पर अस्पताल लाने के लिए 350 रुपए ले लिए गए।

कॉल किया तो मिली हड़ताल की जानकारी
ग्रामीणों का कहना है कि जब उन्होंने 108 एंबुलेंस पर कॉल किया, तो हड़ताल की जानकारी दी गई और मजबूरी में निजी वाहन से अस्पताल आना पड़ा। खेती के इस मौसम में आर्थिक तंगी झेल रहे ग्रामीणों के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन गया है।
जानकारी के अनुसार घाटशिला अनुमंडल में मुसाबनी, डुमरिया, गुड़ाबांदा, चाकुलिया, बहरागोड़ा और धालभूमगढ़ समेत सात प्रखंडों में कुल 14 एंबुलेंस में करीब 56 कर्मचारी कार्यरत हैं, जो 29 जुलाई से हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों ने उपायुक्त कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, एनआरएचएम तथा अपनी संस्था ‘सम्मान फाउंडेशन’ को पत्र देकर हड़ताल की सूचना दी है।
ये हैं एंबुलेंस कर्मियों की चार प्रमुख मांगें
- झारखंड सरकार और श्रम विभाग के आदेशानुसार वेतन का भुगतान
- फरवरी 2025 से जून 2025 तक की वेतन कटौती की भरपाई
- ईपीएफ और ईएसआईसी ग्रुप बीमा की सुविधा
- पैसा लेकर नई बहाली पर रोक और कर्मचारियों को धमकी भरे पत्र बंद करना
जिले में 21 एंबुलेंस में से 12 ही सेवा में
पूर्वी सिंहभूम जिले में कुल 21 एंबुलेंस हैं, जिनमें से केवल 12 काम कर रही हैं। बाकी 9 एंबुलेंस लंबे समय से गैरेज में खड़ी हैं, जिनका कोई मेंटेनेंस नहीं हो रहा। एक एंबुलेंस पर दो पायलट और दो इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन होते हैं।
हड़ताल से चिकित्सा सेवा पर असर पड़ेगा: डॉ आर एन सोरेन
घाटशिला अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. आर एन सोरेन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बसे लोग पूरी तरह से 108 एंबुलेंस पर निर्भर रहते हैं। यह सेवा पूरी तरह मुफ्त है, लेकिन अब हड़ताल के कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।