नई दिल्ली: भारत सरकार ने Banking Laws (Amendment) Act, 2025 को आधिकारिक रूप से अधिसूचित कर दिया है, जिसके तहत अब Public Sector Banks (PSBs) यानी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी जिन राशियों पर कोई दावा नहीं होगा, उसे शेयर राशि, ब्याज और बॉन्ड रिडम्पशन राशि को Investor Education and Protection Fund (IEPF) में ट्रांसफर कर सकेंगे। यह नियम 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
अब तक यह व्यवस्था सिर्फ कंपनियों पर लागू होती थी, लेकिन इस संशोधन के बाद बैंकों और कंपनियों के बीच का यह विनियामकीय अंतर खत्म हो गया है।
बढ़ेगी पारदर्शिता, निवेशक होंगे जागरूक
इस बदलाव से PSBs को अधिकार मिलेगा कि वे बिना दावे वाली वित्तीय परिसंपत्तियों – जैसे शेयर, ब्याज और बॉन्ड रिडम्पशन राशि – को IEPF में ट्रांसफर कर सकें। इससे पारदर्शिता, निवेशक जागरूकता और फंड की केंद्रीय ट्रैकिंग को बढ़ावा मिलेगा।
वैधानिक ऑडिटरों को मिलेगा पारिश्रमिक
संशोधित कानून के तहत अब सार्वजनिक बैंकों को अपने Statutory Auditors को पारिश्रमिक देने का अधिकार भी मिलेगा। यह कदम ऑडिट की गुणवत्ता बढ़ाने, कुशल पेशेवरों की नियुक्ति और वित्तीय अनुशासन मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
‘Substantial Interest’ की सीमा 2 करोड़ तक बढ़ाई गई
अब ‘Substantial Interest’ की सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दिया गया है। यह सीमा 1968 के बाद पहली बार संशोधित की गई है। इससे संबंधित पार्टी लेन-देन और हितों के टकराव की स्थितियों में बेहतर मूल्यांकन और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी।
सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल अब 10 साल
सहकारी बैंकों में अब निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर) का कार्यकाल 8 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। यह संशोधन 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप है और इससे नेतृत्व में स्थिरता और बेहतर प्रशासनिक निरंतरता सुनिश्चित होगी।
कब से लागू माने जाएंगे संशोधन
हालांकि यह अधिसूचना 29 जुलाई 2025 को जारी की गई थी, लेकिन इन सभी प्रावधानों को 1 अप्रैल 2025 से लागू माना जाएगा। यह कदम बैंकिंग क्षेत्र के आधुनिकीकरण और विनियामक खामियों को दूर करने के व्यापक उद्देश्य का हिस्सा है।
Banking Laws (Amendment) Act, 2025
15 अप्रैल 2025 को अधिसूचित इस अधिनियम में पांच प्रमुख अधिनियमों में 19 संशोधन शामिल हैं—
• Reserve Bank of India Act, 1934
• Banking Regulation Act, 1949
• State Bank of India Act, 1955
• Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970
• Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1980
इस व्यापक संशोधन का उद्देश्य है— निवेशक विश्वास बढ़ाना, संस्थागत निगरानी को मजबूत करना औरभारतीय बैंकिंग प्रणाली को वर्तमान आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप बनाना।