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Shibu Soren : दिसोम गुरु की बदौलत राष्ट्रीय क्षितिज तक पहुंची दुमका की राजनीति

JharKhand Hindi News : शिबू सोरेन का झारखंड आंदोलन से दिल्ली की सत्ता तक का सफर

by Rakesh Pandey
Shibu Soren
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Ranchi News : झारखंड के दुमका की राजनीति की पहचान आज राष्ट्रीय क्षितिज पर है। इसका श्रेय दिसोम गुरु शिबू सोरेन को जाता है। वह दुमका से साल 1980 से 2014 तक आठ बार सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने झारखंड की आवाज संसद में इस जोरशोर से उठाई कि हर शख्स दिसोम गुरु की राजनीति का कायल हो गया।

रामगढ़ के नेमरा गांव में 11 जनवरी 1944 को जन्मे शिबू सोरेन ने अपने संघर्ष और आंदोलन की बदौलत न सिर्फ झारखंड बल्कि देश की राजनीति में भी गहरी छाप छोड़ी। दुमका की धरती ने उन्हें जननेता से “दिसोम गुरु” बनाने तक का सफर तय कराया। वे झारखंड आंदोलन के महानायक बने और अलग झारखंड राज्य के गठन का सपना साकार किया।

शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक नेताओं में शामिल रहे। वर्ष 1973 में पार्टी का गठन कर उन्होंने झारखंड के आदिवासी, मूलवासी, दलित और पिछड़े समाज के अधिकारों की लड़ाई को नया आयाम दिया। इससे पहले उन्होंने 1969 में समाज सुधार की मुहिम के तहत “सोनत संताली समाज” की स्थापना की थी, जिससे गांव-गांव में शराबबंदी, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और जल-जंगल-जमीन संरक्षण के कार्यक्रम चलाए।

महाजनी शोषण और भूमि लूट के खिलाफ धान कटनी आंदोलन से लेकर जल-जंगल-जमीन की लड़ाई तक, शिबू सोरेन ने कई बार जेल की सलाखें झेलीं। उन पर हत्या से लेकर रिश्वत तक के गंभीर आरोप लगे, लेकिन हर मामले में उन्हें न्याय मिला। चिरुडीह कांड, शशिनाथ झा हत्याकांड और संसद रिश्वत कांड जैसे मामलों में कोर्ट ने उन्हें बरी किया।

उनका राजनीतिक कद इतना बढ़ा कि केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में दो बार कोयला मंत्री बने। झारखंड राज्य गठन के बाद तीन बार मुख्यमंत्री बने। झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में 38 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व किया और 2025 में संस्थापक संरक्षक की जिम्मेदारी संभाली। आज झामुमो की कमान उनके बेटे हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं, जो झारखंड के मुख्यमंत्री हैं।

आंदोलन के दौर में शिबू सोरेन पर “देखते ही गोली मारने” तक के आदेश जारी हुए, लेकिन उन्होंने अपने अभियान को कभी कमजोर नहीं होने दिया। जब-जब उन्होंने आवाज उठाई, झारखंड बंद हो जाता था। दिल्ली से लेकर बिहार की सत्ता तक हिल जाती थी। यही वजह है कि 15 नवंबर 2000 को जब झारखंड एक अलग राज्य बना, तो पूरे देश ने “दिसोम गुरु” को सलाम किया।

शिबू सोरेन ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर जो कार्य किए, वो झारखंड की माटी में आज भी जीवित हैं। उनका जीवन एक आंदोलन, एक संघर्ष और एक संकल्प का नाम है।

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

  • लोकसभा सांसद (दुमका) : 1980, 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009, 2014
  • राज्यसभा सदस्य : 1998, 2002, 2020
  • केंद्रीय कोयला मंत्री : 2004–2006
  • झारखंड के मुख्यमंत्री : मार्च 2005 (10 दिन), अगस्त 2008–जनवरी 2009, दिसंबर 2009–मई 2010
  • जैक के अध्यक्ष : 1995
  • झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष : 1987–2025
  • झामुमो के संस्थापक संरक्षक : 2025

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