सेंट्रल डेस्क: देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के कर्ता-धर्ता माने जाने वाले सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स में अब प्रत्येक वर्ष 14 हजार नई भर्तियां करने का लक्ष्य रखा गया है, जो आने वाले 5 सालों तक चलेगी। बल को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में अगले पांच वर्षों तक हर साल 14,000 नए जवानों की भर्ती को मंजूरी दी है। इसका लक्ष्य CISF की कुल संख्या को 2.20 लाख तक ले जाना है।
यह विस्तार राष्ट्रीय राजधानी में संसद भवन की सुरक्षा से लेकर एयरपोर्ट, मेट्रो नेटवर्क, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और सामरिक ठिकानों की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
2014 में CISF की संख्या 1.08 लाख थी, अब 2.20 लाख का लक्ष्य
वर्ष 2014 में CISF की बल संख्या 1.08 लाख थी, जो पिछले दस वर्षों में बढ़कर 1.62 लाख तक पहुंच गई। अब गृह मंत्रालय (MHA) ने औपचारिक रूप से CISF के लिए 2.20 लाख जवानों की स्वीकृत संख्या तय कर दी है। यह फैसला मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया है।
देश की संसद परिसर की सुरक्षा अब CISF के हवाले
हाल ही में संसद भवन में रंग-बिरंगे धुएं वाले बम फेंके जाने घटना के बाद सरकार ने संसद परिसर की सुरक्षा का जिम्मा भी CISF को सौंप दिया है। गौरतलब है कि पहले जहां कई एजेंसियां मिलकर संसद की सुरक्षा का भार संभालती थीं, अब यह काम CISF के केंद्रीकृत और विशेषज्ञ सुरक्षा मॉडल के अंतर्गत किया जाएगा।
आर्थिक और सामरिक ठिकानों पर भी CISF की तैनाती
देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ CISF की भूमिका भी व्यापक होती जा रही है। यह बल अब सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की इकाइयों की भी सुरक्षा कर रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में CISF न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन, एयरपोर्ट, मेट्रो नेटवर्क और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा कर रहा है, जिससे यह भारत की आंतरिक सुरक्षा का एक अहम स्तंभ बन गया है।
पारंपरिक औऱ मॉडर्न युद्ध कौशल के दांव पेंच सीखेंगे जवान
CISF में जवानों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए एक नई रिजर्व बटालियन भी बनाई जा रही है। साथ ही, जवानों को अब पारंपरिक सुरक्षा प्रशिक्षण के साथ-साथ युद्धस्तरीय युद्ध कौशल भी सिखाया जा रहा है, जिसमें भारतीय सेना का सहयोग लिया जा रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत दोनों बलों ने मिलकर संयुक्त खतरा निवारण अभ्यास किया, जिसकी सफलता के बाद यह प्रशिक्षण नियमित किया गया है।
आधुनिकरण और तकनीकी निगरानी पर ज़ोर
अधिकारियों का कहना है कि यह भर्ती अभियान और प्रशिक्षण विस्तार एक व्यापक आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा है। इसके तहत उपकरणों को अपग्रेड करना, तकनीकी निगरानी प्रणालियों को अपनाना और तेज प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाना शामिल है। औद्योगिक सुरक्षा और अग्रिम पंक्ति की रक्षा में CISF की दोहरी भूमिका को देखते हुए इसका यह विस्तार समयबद्ध और आवश्यक कदम है।
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