घाटशिला: झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अग्रणी योद्धा, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर घाटशिला सांसद बिद्युत बरण महतो ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि गुरुजी न केवल उनके राजनीतिक अभिभावक थे, बल्कि उनसे पितातुल्य स्नेह भी मिला।
सांसद महतो ने कहा कि शिबू सोरेन एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर झारखंड के हक-अधिकार की लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाने वाले युगपुरुष थे। उन्होंने न केवल झारखंड के लिए अलग राज्य की मांग को बुलंदी तक पहुंचाया, बल्कि दबे-कुचले, वंचित समाज को भी स्वर और सम्मान दिलाया। उन्होंने कहा कि गुरुजी जैसे लोग सदियों में कभी-कभार जन्म लेते हैं, जो अपने विचारों और कर्मों से हजारों लोगों के जीवन को दिशा दे जाते हैं।
सांसद ने बताया कि गुरुजी का कार्यशैली बेहद मानवीय और संवेदनशील थी। वे छोटे से छोटे कार्यकर्ता का भी हालचाल लेते थे, उनके सुख-दुख में सहभागी बनते थे। यही कारण है कि वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक जननेता के रूप में लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
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बिद्युत महतो ने कहा कि आज गुरुजी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके सपने अधूरे नहीं रहने चाहिए। उनका सपना था एक सशक्त, आत्मनिर्भर और अधिकारसंपन्न झारखंड। उन्होंने जिन उद्देश्यों को लेकर आंदोलन खड़ा किया, उन उद्देश्यों को पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि मारंगबुरू से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों सहित समस्त झारखंडवासियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।