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National Librarian Day 2025: “Library: The Tool for Development” थीम पर होगा आयोजन

यह आयोजन पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती पर किया जा रहा है, जिन्हें भारत में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान और पुस्तकालय आंदोलन का जनक कहा जाता है।

by Reeta Rai Sagar
Delegates attending National Librarians’ Day 2025 seminar in Ranchi
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Ranchi: रांची स्थित झारखंड इंफॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी एसोसिएशन (JILA), झारखंड सरकार के स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट (SIRD) के सहयोग से राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस 2025 एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी (JILASEM’25) का आयोजन 12 अगस्त को किया जाएगा। यह कार्यक्रम SIRD ऑडिटोरियम नंबर-2, अकादमिक कैंपस (साउथ कैंपस), काजू बगान, राँची-रातू रोड में आयोजित होगा।

सुबह 9 बजे से होगा पंजीकरण

प्रतिभागियों के पंजीकरण की प्रक्रिया सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक चलेगी। देशभर से पुस्तकालय अध्यक्षों, सूचना पेशेवरों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और अन्य संबंधित हितधारकों के शामिल होने की संभावना है।

पुस्तकालय आंदोलन के जनक को समर्पित

यह आयोजन पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती पर किया जा रहा है, जिन्हें भारत में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान और पुस्तकालय आंदोलन का जनक कहा जाता है।

एस.आर. रंगनाथन (9 अगस्त 1892 – 27 सितंबर 1972) को भारत में पुस्तकालय विज्ञान का जनक माना जाता है। गणित में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के बाद उन्होंने शिक्षक के रूप में काम किया और 1924 में मद्रास विश्वविद्यालय के पहले पुस्तकालय अध्यक्ष बने। इसके लिए उन्होंने लंदन से प्रशिक्षण लिया। उन्होंने कोलन वर्गीकरण प्रणाली (1933) और चेन इंडेक्सिंग तकनीक विकसित की, जो विश्वभर में प्रभावशाली रही। उनकी पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियम (1931) को पुस्तकालय सेवा का आदर्श माना जाता हैं। उन्होंने राष्ट्रीय व राज्य पुस्तकालय योजनाएँ बनाईं, कई ग्रंथ लिखे और 1965 में राष्ट्रीय शोध प्रोफेसर का सम्मान पाया।

विकास में पुस्तकालय की भूमिका पर फोकस

इस संगोष्ठी का उद्देश्य आधुनिक युग में शैक्षिक एवं सामाजिक विकास में पुस्तकालयों की अहम भूमिका को रेखांकित करना है। कार्यक्रम में समकालीन पुस्तकालय और सूचना सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ प्रतिभागियों को बेहतर लाइब्रेरियनशिप के लिए नई जानकारियों से लैस करने पर जोर दिया जाएगा।

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