

Ramdas Soren Biography : रांची : झारखंड के शिक्षा मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष रामदास सोरेन का शुक्रवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 62 वर्ष के थे। इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पिता के निधन की पुष्टि की और इसे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

Ramdas Soren Biography : ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर
रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोड़ाबांधा (टेल्को) में हुआ था। वे एक किसान परिवार से थे और उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ग्राम प्रधान के रूप में की थी। धीरे-धीरे वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरे।

साल 1990 में वे झामुमो के जमशेदपुर पूर्वी अध्यक्ष नियुक्त किए गए। इसके बाद उन्होंने घाटशिला विधानसभा सीट पर ध्यान केंद्रित किया और 2005 में यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी की, लेकिन सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। इसके बावजूद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, हालांकि जीत नहीं सके।

Ramdas Soren Biography : तीन बार के विधायक, शिक्षा मंत्री बने
रामदास सोरेन ने 2009 में घाटशिला से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। 2014 में वे बीजेपी के लक्ष्मण टुडू से हार गए, लेकिन 2019 में जोरदार वापसी करते हुए दोबारा जीत दर्ज की। 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के बाबूलाल सोरेन को हराकर लगातार तीसरी बार घाटशिला सीट पर कब्जा जमाया।
पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के इस्तीफे के बाद 30 अगस्त 2024 को उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में हेमंत सोरेन सरकार में शामिल किया गया और शिक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया।
Ramdas Soren Biography : आदिवासी समाज के मजबूत नेता
रामदास सोरेन आदिवासी समाज के बीच एक मजबूत और लोकप्रिय नेता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा आदिवासी अधिकारों, शिक्षा और समाजिक न्याय के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। पार्टी के लिए वे एक भरोसेमंद चेहरा थे और कार्यकर्ताओं के बीच बेहद सम्मानित नेता थे।
बाथरूम में गिरने से लगी थी गंभीर चोटें
रामदास सोरेन 2 अगस्त को जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित अपने आवास में बाथरूम में गिर गए थे। इस हादसे में उनके सिर और हाथ में गंभीर चोटें आई थीं। प्रारंभिक इलाज टाटा मोटर्स अस्पताल में हुआ, जिसके बाद उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही थी। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का कार्यभार अस्थायी रूप से सुदिव्य कुमार सोनू को सौंपा गया था।
