

India semiconductor revolution and engineering careers : देश में सेमीकॉन इंडिया 2024 में घोषणा के बाद इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) जैसी पहलों और आकर्षक प्रोत्साहनों के साथ, भारत इस महत्वपूर्ण उद्योग में दुनिया के लिए एक आकर्षक निवेश केंद्र बन रहा है। भारत अब दुनिया का आठवां ऐसा देश है, जो सेमीकंडक्टर पर एक प्रमुख कार्यक्रम की मेजबानी करता है। यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है और महत्वाकांक्षी इंजीनियरों के लिए सुनहरा भविष्य है।

सेमीकंडक्टर उद्योग में इंजीनियरिंग का महत्व
- सेमीकंडक्टर उद्योग विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का एक जटिल मिश्रण है। इस क्षेत्र में इलेक्ट्रिकल और मटेरियल इंजीनियरिंग से लेकर सॉफ्टवेयर और ऑटोमेशन तक, विभिन्न इंजीनियरिंग विषयों के पेशेवरों की आवश्यकता होती है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग : इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर सेमीकंडक्टर उपकरणों जैसे ट्रांजिस्टर, डायोड और एकीकृत सर्किट (IC) को डिजाइन और विकसित करते हैं। वे इन डिजाइनों को भौतिक चिप्स में बदलने के लिए प्रक्रिया इंजीनियरों के साथ काम करते हैं। वे चिप्स की गति और कार्यक्षमता का परीक्षण करते हैं, और AI, 5G और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर विकसित करते हैं।
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग : सॉफ्टवेयर इंजीनियर चिप डिजाइन, सिमुलेशन और उत्पादन के लिए उपकरण और सिस्टम विकसित करते हैं। वे इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन ऑटोमेशन (EDA) उपकरण बनाते हैं और चिप्स के वर्चुअल परीक्षण के लिए सिमुलेशन सॉफ्टवेयर विकसित करते हैं।
VLSI डिज़ाइन में शीर्ष 5 EDA उपकरण

- कैडेंस वर्चुओसो : एनालॉग और मिश्रित-सिग्नल IC डिज़ाइन के लिए।
- सिनोप्सिस डिज़ाइन कंपाइलर : RTL संश्लेषण और समय अनुकूलन के लिए।
- मेंटर ग्राफिक्स (सीमेंस EDA) कैलिबर : भौतिक सत्यापन और डिज़ाइन सटीकता के लिए।
- एन्सिस HFSS : RF और उच्च-आवृत्ति विश्लेषण के लिए।
- ज़िलिंक्स विवाडो : FPGA डिज़ाइन के लिए।
- कंप्यूटर इंजीनियरिंग : कंप्यूटर इंजीनियर चिप डिजाइन के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों पहलुओं पर काम करते हैं। वे माइक्रोप्रोसेसर, मेमोरी सिस्टम और विशेष कंप्यूटिंग डिवाइस डिजाइन करते हैं, जो कंप्यूटिंग शक्ति और दक्षता में सुधार करते हैं। वे AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और 5G के लिए विशेष चिप आर्किटेक्चर विकसित कर रहे हैं।
- सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग : सामग्री वैज्ञानिक सेमीकंडक्टर में उपयोग होने वाली सामग्रियों जैसे सिलिकॉन, गैलियम आर्सेनाइड और अन्य विकल्पों पर शोध करते हैं। वे बेहतर विद्युत चालन और यांत्रिक गुणों वाली नई सामग्री विकसित करते हैं, जो लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स और क्वांटम सामग्री जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं।
- केमिकल इंजीनियरिंग : केमिकल इंजीनियर सेमीकंडक्टर निर्माण प्रक्रियाओं जैसे फोटोलिथोग्राफी, नक़्क़ाशी और रासायनिक वाष्प जमाव (CVD) पर काम करते हैं। वे प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े मानकों का पालन करते हैं और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन विधियों को विकसित कर रहे हैं।
- ऑप्टिकल इंजीनियरिंग : ऑप्टिकल इंजीनियर फोटोनिक्स और सेमीकंडक्टर तकनीकों का संयोजन करते हैं। वे फोटोलिथोग्राफी सिस्टम और ऑप्टिकल इंटरकनेक्ट विकसित करते हैं, जो डेटा संचार को तेज और अधिक ऊर्जा-कुशल बनाते हैं।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग : मैकेनिकल इंजीनियर सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनरी और सिस्टम को डिजाइन करते हैं। वे चिप्स को गर्मी से बचाने के लिए शीतलन समाधान और भौतिक पैकेज विकसित करते हैं।
- ऑटोमेशन और रोबोटिक्स इंजीनियरिंग : ऑटोमेशन इंजीनियर अत्यधिक स्वचालित सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रक्रियाओं के लिए रोबोटिक सिस्टम को डिजाइन करते हैं। वे रोबोट, कन्वेयर और नियंत्रण प्रणालियों को एकीकृत करके उत्पादन दक्षता बढ़ाते हैं।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रवेश के लिए शैक्षणिक मार्ग व प्रमुख शिक्षण संस्थान
आईआईएससी बैंगलोर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, और आईआईटी बॉम्बे जैसे संस्थान माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, वीएलएसआई डिजाइन और नैनोटेक्नोलॉजी में एम.टेक और अन्य विशिष्ट कार्यक्रम प्रदान करते हैं। एनआईटी, बिट्स पिलानी और आईआईआईटी जैसे संस्थान भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम पेश करते हैं।

ऑनलाइन सर्टिफिकेशन
NPTEL जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और बिट्स पिलानी जैसे संस्थान VLSI डिजाइन और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में ऑनलाइन कार्यक्रम प्रदान करते हैं, जिससे कामकाजी पेशेवरों और छात्रों को सीखने का अवसर मिलता है।
