जमशेदपुर : झारखंड संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा बोर्ड की लापरवाही ने हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। बीएड प्रवेश परीक्षा के आधार पर पहले चरण की काउंसिलिंग समाप्त होने के बाद सरकारी बीएड कॉलेजों में मात्र 45 से 55 प्रतिशत सीटें ही भर पाई हैं, जबकि निजी संस्थानों में यह आंकड़ा और भी निराशाजनक है- केवल 20 से 30 प्रतिशत। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि दूसरे चरण की काउंसिलिंग की तिथि अभी तक घोषित नहीं की गई है। इस देरी से छात्रों और कॉलेज प्रशासनों में बेचैनी की लहर दौड़ गई है। अभ्यर्थी भटक रहे हैं, जबकि कॉलेजों का शैक्षणिक सत्र पटरी पर चढ़ने का इंतजार कर रहा है।
झारखंड संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा बोर्ड (जेसीईसीईबी) द्वारा आयोजित इस काउंसिलिंग प्रक्रिया में कुल 10,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। सरकारी कॉलेजों जैसे ग्रेजुएट कॉलेज जमशेदपुर, को-ऑपरेटिव कॉलेज सहित अन्य में मेरिट लिस्ट के बावजूद अभ्यर्थियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। विशेषज्ञों का मानना है कि काउंसिलिंग की जटिल प्रक्रिया, दस्तावेज सत्यापन में देरी और ऑनलाइन पोर्टल की तकनीकी खामियों ने अभ्यर्थियों को हतोत्साहित किया।
निजी कॉलेजों की स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां फीस संरचना और सुविधाओं की कमी ने नामांकन को प्रभावित किया।
छात्रों की व्यथा रुकने का नाम नहीं ले रही। जमशेदपुर की एक अभ्यर्थी रिया कुमारी ने बताया कि पहले चरण में हमारी मेरिट अच्छी थी, लेकिन सीट न मिलने पर हम दूसरे चरण का इंतजार कर रहे हैं।
इसलिए नहीं भरी सीटें
एक छात्रा ने कहा कि परीक्षा के नतीजे जुलाई में आए थे, काउंसिलिंग अगस्त में हुई, लेकिन अब अक्टूबर चल रहा है। अगर जल्द तिथि घोषित न हुई तो हमारा एक साल बर्बाद हो जाएगा। हम शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं, लेकिन यह अनिश्चितता हमें तोड़ रही है। इसी तरह, साकची निवासी आकाश महतो ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में सीटें कम भरने का मतलब है कि योग्य उम्मीदवारों को मौका मिलना चाहिए, लेकिन देरी से सबकी मेहनत पर पानी फिर रहा है।
इसी महीने जारी होगी दूसरे चरण के काउंसिलिंग की तिथि
कॉलेज प्रशासकों की चिंता भी कम नहीं। ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. विशेश्वर यादव ने कहा कि हमारे पास 100 सीटें हैं, लेकिन केवल 44 ही भर पाईं। दूसरे चरण में उम्मीद है, लेकिन तिथि न तय होने से क्लास शुरू करने में दिक्कत हो रही। टीचर ट्रेनिंग का सिलेबस समयबद्ध है, देरी से छात्रों का नुकसान होगा। बोर्ड को तुरंत कदम उठाना चाहिए। निजी संस्थान एसएस मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि नामांकन कम होने से आर्थिक दबाव है। हमने बोर्ड को पत्र लिखा है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
जेसीईसीईबी से मिली जानकारी के अनुसार, दूसरे चरण की काउंसलिंग 15 अक्टूबर से शुरू हो सकती है, लेकिन आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। अभ्यर्थी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई न हुई तो आंदोलन होगा।