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Hazaribagh News : हजारीबाग के डॉ. मनोज कुमार को ‘पद्मश्री’ पुरस्कार के लिए जिला प्रशासन ने की अनुशंसा

Jharkhand Hindi News: 25 साल से कर रहे पौधरोपण व वृक्षों का संरक्षण, 'हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी' अभियान के तहत लगा चुके हैं 8000 पौधे

by Geetanjali Adhikari
Hazaribagh Dr. Manoj Kumar recommended for Padma Shri
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Hazaribagh (Jharkhand): पिछले 25 सालों से पौधरोपण और वृक्षों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहे डॉ. मनोज कुमार को पद्मश्री सम्मान देने की अनुशंसा की गई है। हजारीबाग जिला प्रशासन ने यह अनुशंसा की है। बता दें कि डॉ. मनोज कुमार स्थानीय गवर्नमेंट बीएड कॉलेज से लेक्चरर के पद से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने पौधरोपण को अपने जीवन का मिशन बना लिया हैं। डॉ. मनोज का यह प्रयास पूरे देश और समाज के लिए प्रेरणादायक है।

पौधों की देखभाल के लिए पेंशन की राशि करते हैं खर्च

डॉ. मनोज कुमार ने अबतक लगभग 8000 पौधे लगाए हैं, जिनमें से 7000 से अधिक आज वृक्ष का रूप ले चुके हैं। इसमें पीपल, बरगद, पाकर, नीम और सेमल आदि शामिल हैं। पौधों की देखभाल के लिए वे अपनी पेंशन की राशि से भी खर्च करते हैं। इसके अलावा समाज और कई कंपनियों से भी उन्हें सहयोग मिलता है।

अभियान का नाम ‘हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी’

डॉ. मनोज बताते हैं कि वे किसी स्वार्थवश पौधरोपण नहीं करते हैं। एक महीने पहले उन्होंने जिला प्रशासन को पर्यावरण संरक्षण को लेकर आवेदन दिया था। उनके द्वारा दिए गए आवेदन पर विचार करते हुए जिला प्रशासन ने उनके प्रयासों को संज्ञान में लिया, यह खुशी की बात है। उन्होनें अपने इस अभियान को ‘हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी’ नाम दिया है। वे प्रकृति को ‘दिव्य मां’ मानते हैं, इसलिए उन्होंने पौधारोपण को निरंतर जारी रखने का संकल्प लिया है।

पौधों की देखभाल पर विशेष ध्यान

डॉ. मनोज का मानना है कि केवल पौधा लगाना काफी नहीं है, बल्कि उनकी देखभाल भी उतनी ही जरूरी है। कई लोग पौधे लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं, लेकिन यह देखना जरूरी है कि पौधा जीवित है या नहीं। यही कारण है कि उनके लगाए 90% पौधे आज विशाल वृक्ष बन चुके हैं। वे कहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है और इसके लिए निरंतर प्रयास जरूरी है।

‘बाल तारु’ टीम का गठन

हजारीबाग में डॉ. मनोज ने ‘बाल तारु’ नाम की एक टीम बनाई है, जिसमें उनके छात्र और समाज के लोग शामिल हैं। यह टीम हर महीने कुछ राशि इकट्ठा करती है, जिसका उपयोग पौधरोपण, खाद और दवाओं के लिए किया जाता है।

पौधरोपण को सामाजिक अवसरों से जोड़ा

डॉ. मनोज ने पौधरोपण को सामाजिक अवसरों से जोड़ा है। बच्चे के जन्म, शादी, शादी की सालगिरह, किसी के निधन या बेटी की विदाई जैसे अवसरों पर उन्होंने पौधे लगाने की परंपरा शुरू की है। इसकी जिम्मेदारी परिवार को सौंपी जाती है, ताकि पौधों की देखभाल सुनिश्चित हो।

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