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Giridih Naxal Surrender : गिरिडीह में हार्डकोर नक्सली दंपति ने किया आत्मसमर्पण

Jharkhand News Hindi: सरकार की 'दिशा एक नई पहल' नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटे, पुनर्वास राशि के रूप में मिले 50-50 हजार रुपए, 15 गंभीर मामले थे दर्ज

by Geetanjali Adhikari
Giridih Naxal Surrender
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Giridih (Jharkhand) : झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने के अभियान में गिरिडीह पुलिस को बुधवार को एक बड़ी सफलता मिली है। सरकार की आत्मसमर्पण नीति ‘दिशा एक नई पहल’ से प्रभावित होकर, पारसनाथ जोन में सक्रिय रहे हार्डकोर नक्सली शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा और उसकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

पपरवाटांड़ स्थित नए पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्यधारा में लौटने पर दंपति का स्वागत किया। इस अवसर पर CRPF के उपमहानिरीक्षक (DIG) अमित सिंह, गिरिडीह के उपायुक्त राम निवास यादव और पुलिस अधीक्षक (SP) डॉ. विमल कुमार मौजूद थे।

नक्सली दंपति पर 15 गंभीर मामले थे दर्ज

पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाला शिवलाल हेंब्रम उर्फ शिवा एरिया कमेटी का सदस्य है, जबकि उसकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला गिरिडीह के पीरटांड के कुख्यात नक्सली विवेक दा के दस्ते की सक्रिय सदस्य थी। दोनों नक्सली गिरिडीह जिले के खुखरा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। इन दोनों के खिलाफ डुमरी, मधुबन, खुखरा और पीरटांड सहित विभिन्न थानों में कुल 15 गंभीर मामले दर्ज थे। इनमें 11 केस शिवा के खिलाफ और चार केस पत्नी सरिता के खिलाफ दर्ज थे।

‘लाल गलियारे’ पर पुलिस का दबदबा

आत्मसमर्पण के बाद ‘दिशा एक नई पहल’ नीति के तहत दोनों को राज्य सरकार की ओर से 50−50 हजार रुपये की पुनर्वास राशि दी गई। इसके अलावा, उन्हें अन्य प्रावधानों के तहत सुविधाएँ भी मुहैया करवाई जाएंगी। CRPF के DIG अमित सिंह ने इस मौके पर कहा कि हाशिए पर जा चुके नक्सली संगठन द्वारा आगामी 20 अक्टूबर को झारखंड बंद का आह्वान अब कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने शेष नक्सलियों से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए मुख्य धारा में वापस लौटने की अपील की।

नक्सलियों का प्रभाव लगभग समाप्त

गौरतलब है कि एक समय पारसनाथ का इलाका नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना और उनका ‘लाल गलियारा’ माना जाता था। लेकिन झारखंड पुलिस, CRPF और IB के संयुक्त अभियानों ने इस क्षेत्र में नक्सलियों के प्रभाव को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया है। एक साल के भीतर 15 वांछित नक्सलियों में से 12 का मुठभेड़ हो चुका है, और 15 सितंबर को एक करोड़ के इनामी नक्सली सहदेव सोरेन के मारे जाने के बाद इस इलाके में नक्सलियों का प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है।

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