RANCHI: टीबी का नाम सुनते ही पहले मरीजों के होश उड़ जाते थे। जिन्हें टीबी हो गया उन्हें लगता था कि अब बचना मुश्किल होगा। आज स्थिति ये है कि मरीजों को दवाएं तो मिल रही है। लेकिन उन्हें पोषण के लिए राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे कि मरीजों को पोषण नहीं मिल पा रहा है। अब कमजोर वर्ग को बाहर से मिलने वाले फूड बास्केट का सहारा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब मरीजों को पोषण ही नहीं मिलेगा तो ऐसी स्थिति में टीबी खत्म कैसे होगी। बता दें कि 2025 में टीबी को पूरी तरह से खत्म करने की योजना है।
चार महीने से नहीं मिली राशि
रांची समेत पूरे झारखंड में टीबी मरीजों के लिए चलाई जा रही निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत मिलने वाली आर्थिक सहायता बीते चार महीनों से बंद पड़ी है। इस कारण मरीजों को इलाज के दौरान जरूरी पोषण नहीं मिल पा रहा है, जिससे न केवल उनके स्वास्थ्य में सुधार धीमा हो रहा है। इस योजना के तहत हर महीने मरीजों को एक हजार रुपये की राशि देने का प्रावधान किया गया है। भारत सरकार द्वारा टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत से ये प्रभावित हो सकती है।
5 हजार मरीज है रांची में
डिस्ट्रिक्ट टीबी डिपार्टमेंट के अनुसार जिले में वर्तमान में 5,000 से अधिक एक्टिव टीबी मरीज हैं। इनमें से करीब 2,500 मरीज प्राइवेट हेल्थ सेंटर्स में नोटिफाई किए गए हैं जबकि 2,400 मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाजरत हैं। इसमें कई मरीज पोषण योजना की राशि नहीं लेना चाहते। लेकिन सरकारी हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों को इसकी जरूरत है। जिससे कि वे जरूरत का आहार इलाज के दौरान ले सके।
मरीजों को फूड बास्केट का सहारा
पोषण योजना की राशि न मिलने से मरीज परेशान है। लेकिन अब राहत के लिए एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं द्वारा वितरित फूड बास्केट्स पर निर्भर हो गए हैं। इन बास्केट्स में सप्लीमेंट्स शामिल होते हैं। हालांकि, ये मदद भी सीमित मात्रा में और केवल चयनित मरीजों को ही मिल पा रही है। धीरे-धीरे प्राइवेट कंपनियां मरीजों को गोद लेकर उन्हें फूड बास्केट उपलब्ध करा रही है। जिससे कि वे तेजी से बीमारी को मात दे सके।
विभाग ने बताई तकनीकी गड़बड़ी
जब इस बारे में डिस्ट्रिक्ट टीबी डिपार्टमेंट से संपर्क किया गया तो अधिकारियों ने बताया कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण राशि भेजने में परेशानी आ रही है। 4 महीने पहले ताक राशि भेजी गई थी। इसके बाद मामला अटका हुआ है। जैसे ही तकनीकी गड़बड़ी दूर होगी तो लाभुकों को सीधे पैसे उनके खाते में भेज दिए जाएंगे।
इस मामले में डिस्ट्रिक्ट टीबी आफिसर डॉ बीबी बास्के ने बताया कि अभी मरीज काफी बढ़ गए है। स्टेट से हमलोग मरीजों को राशि दे रहे थे। अब केंद्र को राशि के लिए लिखा गया है। थोड़ी परेशानी तो है लेकिन हमलोग इसे लेकर लगातार मांग कर रहे है। फूड बास्केट लगातार कंपनियों और संस्थाओं के द्वारा बांटे जा रहे है। लोग मरीजों को गोद लेकर उन्हें फूड बास्केट दे रहे है। जैसे ही फंड को लेकर हमें ग्रीन सिग्नल मिलेगा तो मरीजों को राशि भेज दी जाएगी।
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