RANCHI: रांची नगर निगम (RMC) ने बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब प्राइवेट अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट उसी हॉस्पिटल से जारी किया जाएगा। बच्चों के जन्म के बाद बर्थ सर्टिफिकेट बनाने के लिए परिजनों को अलग से नगर निगम के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। नगर निगम के इस निर्णय से एक ओर जहां प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगी। वहीं सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की संभावना भी नहीं के बराबर होगी। ये व्यवस्था उन प्राइवेट हॉस्पिटलों के लिए जिन्होंने रांची नगर निगम से लॉगइन आईडी ले लिया है।
कैसे काम करता है सिस्टम
नए सिस्टम के तहत जैसे ही बच्चे का जन्म किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में होता है, उसी समय अस्पताल प्रबंधन को रांची नगर निगम के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करता है। आवेदन की प्रक्रिया जन्म के तत्काल बाद शुरू की जाएगी, जिससे प्रमाण पत्र में देरी न हो। वहीं 21 दिनों के अंदर इसे अप्रूव कर दिया जाता है।
नाम जुड़वाने के लिए आना होगा परिजनों को
कई बार जन्म के तत्काल बाद बच्चों का नाम तय नहीं हो पाता है। परिजन घर जाकर बच्चों का नाम तय करते है। ऐसे में सर्टिफिकेट की प्रक्रिया तो आगो बढ़ा दी जाती है। लेकिन नाम जुड़वाने के लिए उन्हें हॉस्पिटल में जाकर प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यह प्रक्रिया ऑफलाइन होगी ताकि माता-पिता सोच-समझकर नाम तय कर सकें और सर्टिफिकेट में कोई गड़बड़ी न हो। इससे लोगों को रांची नगर निगम के चक्कर लगाने की झंझट से भी छुटकारा मिल जाएगा।
गड़बड़ी रोकने को उठाया गया कदम
नगर निगम की सहायक प्रशासक सह रजिस्ट्रार निहारिका तिर्की के अनुसार पहले की व्यवस्था में बर्थ सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए परिजनों को बार-बार नगर निगम के कार्यालय जाना पड़ता था। इसके अलावा दस्तावेजों में त्रुटि, नाम में गड़बड़ी और जन्म स्थान की जानकारी में गड़बड़ी जैसे मामले भी सामने आते थे। इसलिए नगर निगम ने तय किया है कि हॉस्पिटलों से जन्म के साथ ही आवेदन कर दिया जाएगा। अस्पताल स्तर पर ही जन्म की सूचना ऑनलाइन दर्ज होने से न केवल सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि इसमें पारदर्शिता भी आएगी।
अस्पतालों को मिला लॉग इन आईडी
रांची नगर निगम ने सभी पंजीकृत प्राइवेट अस्पतालों को एक विशेष लॉगिन आईडी दिया है। जिसके माध्यम से वे रांची नगर निगम के पोर्टल पर जाकर सीधे आवेदन कर सकते है। इससे उनका डेटा सीधे नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा और डिजिटल तरीके से सर्टिफिकेट जेनरेट किया जा सकेगा। इस नई व्यवस्था से नवजात के माता-पिता के समय की बचत होगी। साथ ही सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की स्थिति में तुरंत सुधार भी संभव होगा।
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