नई दिल्ली : बिहार में अगले साल जनवरी में होने वाले अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों के सम्मेलन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। यह सम्मेलन 20 जनवरी से 23 जनवरी 2025 तक बिहार विधानसभा में आयोजित होगा, जिसमें देश भर के विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति हिस्सा लेंगे। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के 150 अधिकारियों की तैनाती की गई है, जो बिहार विधानसभा सचिवालय में अपनी ड्यूटी देंगे।
बिप्रसे अधिकारियों की तैनाती
बिहार में आयोजित होने जा रहे इस बड़े सम्मेलन के आयोजन को लेकर प्रशासन ने सभी जरूरी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बिहार विधानसभा में तैनात इन 150 बिप्रसे (बिहार प्रशासनिक सेवा) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति 20 से 23 जनवरी तक की गई है, ताकि सम्मेलन के संचालन में किसी प्रकार की कोई रुकावट न आए। सोमवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने इन अधिकारियों की तैनाती को लेकर आदेश जारी किया। अधिकारियों की यह तैनाती इस सम्मेलन के आयोजन में सहयोग करने के लिए की गई है।
ऐतिहासिक महत्व
यह सम्मेलन 1982 के बाद पहली बार बिहार में आयोजित हो रहा है। पिछली बार जब इस सम्मेलन का आयोजन हुआ था, तब बिहार विधानसभा के अध्यक्ष राधानंदन झा के कार्यकाल में यह आयोजन हुआ था। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रमुख नेताओं में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और देशभर के विभिन्न विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति, उपसभापति शामिल होंगे। यह सम्मेलन लोकतांत्रिक संस्थाओं के समन्वय और उनकी कार्यप्रणाली पर विचार विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
तैयारियां और विशेष व्यवस्था
सम्मेलन को लेकर भवन निर्माण विभाग ने विधानसभा भवन और विधान परिषद की विशेष तैयारी शुरू कर दी है। उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष के लिए अलग-अलग विशेष कक्ष बनाए जाएंगे, ताकि उनके बैठने की व्यवस्था पूरी तरह से आरामदायक और अनुकूल हो। विधानसभा में इस दौरान जो बैठकें होंगी, उनके लिए अलग-अलग कक्षों का नवीनीकरण किया जा रहा है। इन कक्षों की सजावट और व्यवस्था की जिम्मेदारी भवन निर्माण विभाग ने संभाल ली है।
विधानसभा और विधान परिषद में 21 से 23 जनवरी तक होने वाले इस सम्मेलन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, इस सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों के लिए शहर के प्रमुख होटलों में ठहरने की व्यवस्था की गई है। कई राजकीय अतिथिशालाओं में भी ठहरने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे इस सम्मेलन में भाग लेने आए नेताओं और अधिकारियों को ठहरने में कोई परेशानी न हो।
सम्मेलन का उद्देश्य और महत्व
यह सम्मेलन देश भर के विधानसभा और विधान परिषद के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, सभापतियों और उपसभापतियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक बड़ा अवसर होगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज को और बेहतर बनाना है, साथ ही संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देना है। खासतौर पर, यह सम्मेलन विधायिका के प्रमुख पदाधिकारियों को एक मंच पर लाकर उनके अनुभवों और विचारों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।
सम्मेलन के दौरान विशेष सुरक्षा व्यवस्था
चूंकि इस सम्मेलन में कई उच्च स्तरीय नेताओं और अधिकारियों का आना सुनिश्चित है, इसलिए सम्मेलन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी खास तैयारियां की जा रही हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की टीम को इस कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा इंतजामों के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही, सुरक्षा के लिहाज से शहर में कुछ स्थानों पर यातायात में भी बदलाव किया जा सकता है।
बिहार विधानसभा में जनवरी 2025 में आयोजित होने वाला पीठासीन पदाधिकारियों का सम्मेलन लोकतंत्र और विधायिका के संचालन पर एक महत्वपूर्ण मंथन का अवसर होगा। इस सम्मेलन के आयोजन को लेकर राज्य प्रशासन और बिहार विधानसभा ने पूरी तैयारियां कर ली हैं, ताकि यह आयोजन सफल और प्रभावशाली हो सके। इसके साथ ही, इस आयोजन से बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक छवि को भी एक नई दिशा मिलेगी।
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