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हजारीबाग के अमन कुमार ने JPSC में 22वीं रैंक हासिल कर रोशन किया पिता का नाम, संघर्षों से मिली सफलता

by Reeta Rai Sagar
Aman Kumar JPSC Topper from Hazaribagh
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हजारीबाग : यह कहावत बिल्कुल सच है कि मेहनत और दृढ़ निश्चय के बल पर हासिल की गई सफलता के आड़े कोई भी बाधा नहीं आ सकती। इस बात को एक बार फिर सिद्ध किया है हजारीबाग के लाल अमन कुमार ने। हजारीबाग शहर एक बार फिर गौरवान्वित हुआ है, क्योंकि यहाँ के बुढ़वा महादेव मंदिर के सामने एक छोटी-सी किताबों की दुकान चलाने वाले अनिल प्रसाद के बेटे अमन कुमार ने झारखंड सिविल सर्विस परीक्षा (JPSC) में 22वीं रैंक प्राप्त कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

पिता की मेहनत और बेटे की लगन ने रचा इतिहास

अमन कुमार की इस ऐतिहासिक सफलता से उनके घर का हर कोना जश्न में डूबा है। पिता अनिल प्रसाद, जो वर्षों से किताबों की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बेटे की इस सफलता से भावुक होकर कहते हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी दुकान से पढ़ने वाला मेरा बेटा एक दिन प्रशासनिक अधिकारी बनेगा। यह सब उसकी मेहनत और ईमानदारी का नतीजा है।”

अमन की माता, एक साधारण गृहिणी होने के बावजूद हर संघर्ष में बेटे के साथ मजबूती से खड़ी रहीं। उन्होंने बताया, “जब अमन देर रात तक पढ़ाई करता था, मैं उसके लिए चुपचाप चाय बनाकर रख देती थी। आज उसका सपना पूरा हुआ, इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है!” यह सफलता सिर्फ अमन की नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार के संघर्ष और त्याग की कहानी है।

बचपन से होशियार, चुनौतियों के बावजूद नहीं मानी हार

अमन के बड़े पापा नरेश प्रसाद ने बताया कि अमन बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल और बेहद अनुशासित था। उन्होंने कहा, “अमन हमेशा से मेहनती रहा है और अपने लक्ष्य को लेकर बेहद गंभीर रहा है। उसकी मेहनत और हमारे आशीर्वाद ने उसे यह मुकाम दिलाया।”

अमन कुमार ने खुद बताया कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी आसान नहीं थी। उन्हें कई आर्थिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अमन ने अपनी सफलता का श्रेय देते हुए कहा, “मेरे माता-पिता की तपस्या और गुरुजनों का मार्गदर्शन ही मेरी असली ताकत रहे। मैं चाहता हूं कि मेरी कहानी अन्य युवाओं को भी प्रेरित करे।”

हजारीबाग से झारखंड तक, हर युवा के लिए प्रेरणा बने अमन

अमन कुमार का यह सफर इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि सीमित संसाधन भी बड़े सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकते। उनकी यह सफलता हर उस युवा के लिए एक सशक्त संदेश है जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते और अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हैं।

आज अमन न सिर्फ हजारीबाग, बल्कि पूरे झारखंड के युवाओं के लिए एक आदर्श बन गए हैं। एक सामान्य परिवार से निकलकर प्रशासनिक सेवा तक पहुंचना यह साबित करता है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती, अगर मेहनत और हौसला हो तो हर मुकाम संभव है। उनकी यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में असाधारण हासिल कर सकता है।

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