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2 जून से हैदराबाद नहीं रहेगी आंध्र प्रदेश की राजधानी, जानिए क्यों

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: Andhra Pradesh: यह तो आप जानते ही होंगे कि आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना राज्य का गठन किया गया था। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून अधिनियम के तहत एक मार्च, 2014 को अस्तित्व में आया था जिसमें यह निर्देश किया गया था कि हैदराबाद 10 वर्षों तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों की संयुक्त राजधानी रहेगा। उसके बाद, आंध्र प्रदेश हैदराबाद के अलावा अपनी नई राजधानी की घोषणा कर सकता है।

Andhra Pradesh: सार्वजनिक संपत्ति के बंटवारे का हस्तांतरण भी लंबित

विभाजन योजना के अन्य तत्व, जैसे 1.4 लाख करोड़ रुपये तक की सार्वजनिक संपत्ति के बंटवारे का हस्तांतरण भी लंबित है, क्योंकि आंध्र प्रदेश के दो मुख्य राजनीतिक दल राज्य के राजनीतिक भविष्य पर सर्वसम्मति से निर्णय नहीं ले सके।

Andhra Pradesh: नई राजधानी को लेकर होती रही राजनीति

वही राजधानियों की घोषणा की लड़ाई आंध्र प्रदेश में पूर्ववर्ती चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने अमरावती को राज्य की नई राजधानी घोषित करने का फैसला किया। साथ ही इस फैसले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया और वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली नई वाईएसआरसीपी सरकार ने इसे पलट दिया।

Andhra Pradesh: मुख्यमंत्री अपना वादा पूरा करने में रहे विफल

वही इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और मुख्यमंत्री ने आंध्र प्रदेश के लोगों से वादा किया कि वह विशाखापत्तनम से काम करेंगे लेकिन आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव 2024 से पहले विशाखापट्टनम में स्थानांतरित होने में विफल रहे।

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